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Showing posts from April, 2022

तुम बिन

केवल मेरे घर पर ना होने पर ही नहीं बल्कि तुम बिन भी छा जाता है घर में सन्नाटा सोफ़े पर आदमी से ज़्यादा कुशन  कोई रखता है भला ? जब सोफ़े पर बैठते तो यही शिकायत अब वो शिकायत करने वाला नहीं कुशन जस के तस  फैलाने वाला नहीं। हर बात पर बिना बोले क्यों नहीं रह पाते अब यह शिकायत किससे करूँ बोलने वाला ही नहीं। मेरी ऊटपटाँग हरकत पर पता नहीं अब ये लड़की क्या करने वाली है टोकने वाला नहीं। सच बताऊँ तो तुम्हारी नामौजूदगी में मैं शांत हो जाती हूँ  हल्के दर्द में भी निढ़ाल पड़ जाती हूँ मेरी हिम्मत हो तुम केवल मेरे बिन ही नहीं तुम बिन भी छा जाता है घर में सन्नाटा।

शिकायत

 बस इतनी सी तो शिकायत है कि तुम मुझे समझते नहीं। क्यों नहीं समझते मुझे ? बुद्धिजीवी लड़कियाँ पसंद हैं तुम्हें ऐसा ही तुमने बताया था हमारे प्रथम मिलन पर। याद है ना ? जब तुम मुझे देखने आए थे  मैं भी प्रभावित हो गई थी तुम्हारी सोच पर। झूम उठी थी  अपनी क़िस्मत पर कि मुझे समझने वाला मिल गया । कितने भ्रम में थी मैं भ्रम टूट गया  अब सब्र भी टूट रहा। प्रेम करते हो तो दर्शाते क्यों नहीं ? बस एक बार मुझे समझ लो टूट जाऊँ मैं , उससे पहले बचा लो। एक सच से रूबरू कराऊँ  पल-पल टूट रही हूँ  पर इतनी कमजोर भी नहीं कि बिखर जाऊँ हाँ , तुम मुझे समझ लोगे  तो, मैं जी उठूँगी  बस इतनी सी तो शिकायत है  कि तुम मुझे समझते नहीं।

बीते हुए यादगार पल

        कुछ dp ऐसी होती हैं कि आपको अपने ओर खींच ही लेती हैं।ऐसी ही dp मेरे एक मित्र ने लगाई, कब लगाई मुझे मालूम नहीं।मैंने उसे दो अप्रैल को देखी।       दो अप्रैल को कुची होली की छुट्टी मनाकर वापिस दिल्ली चला गया था।मन भारी और घर ख़ाली।कहीं मन नहीं लग रहा था तो मैं मन बहलाने के लिए व्हाट्सअप देखने लगी।उसी समय उस dp को देखा।पिता-पुत्री की मस्ती करते हुए फ़ोटो थी।पुत्री की आँखों और मुस्कराहट में शरारत झलक रही थी और पिता के चेहरे पर उस पल को भरपूर जी लेने का भाव। dp देखकर मन में ख़ुशी के भाव आ गए और मैंने उस दिन (केवल उस दिन नहीं तबसे प्रतिदिन)उस dp को अनगिनत बार देखा। शायद उसको देखकर कुची के जाने पर अपने दुख को कम करने की कोशिश कर रही थी।        ऐसा नहीं कि मैंने बच्चों के साथ मस्ती नहीं की हैं बस मेरे पास बच्चों के साथ मस्ती करते हुए फ़ोटो कम है, हाँ उनके पापा के साथ मस्ती वाली फ़ोटो है।बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वहीं फ़ोटो और पल बहुत याद आते हैं।कुची को दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ना था सो वो चला गया। मैं ख़ुद भी चाहती थी कि वो ...

मेरी छोटी-छोटी खुशियाँ

      “बच्चे मन के सच्चे”ये गीत रेडियो पर बज रहा था और मैं बच्चों को अपने माता-पिता के साथ बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार करते हुए देखकर खुश हो रही थी।मुझे बच्चों को स्कूल जाते देखना बहुत पसंद है।ख़ास तौर पर छोटे बच्चों को, जब उनको स्कूल ड्रेस पहने गले में बोतल टाँगें देखती हूँ तो मन ख़ुशी से झूम उठता है।आद्या को स्कूल छोड़ने जाते वक्त मैं खिड़की से बाहर स्कूल जाने को तैयार बच्चों को देखकर मंद-मंद मुस्कराती रहती हूँ(आद्या,कुची और प्रणव के बचपन को याद कर)और पतिदेव आश्चर्य चकित होकर गाड़ी चलाते वक्त बीच-बीच में मुझे देखते हैं।उनके दिमाग़ में उस वक्त मुझे लेकर क्या चलता है? मालूम नहीं।दो-अढ़ाई साल बाद छोटे-बड़े सब बच्चे स्कूल जा रहे।इतने समय के अंतराल का प्रभाव नि:संदेह ना केवल बच्चों की पढ़ाई पर बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास पर भी पड़ा।कहीं बच्चे स्कूल जाने को बेचैन तो कहीं माता-पिता, कहीं  पढ़ाई के बोझ तले बच्चे स्कूल जाने से कतराने लगे थे और कुछ जगह माएँ आरामतलबी के कारण बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगीं थीं।इस कोरोना का कुछ बच्चों के मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।म...

दिल की बातें

 दिल करता है रो लूँ  रोकर मन हलका लूँ   और सबको बता दूँ  कि मुझमें भी दिल है  जिसमें है बेहिसाब अनुराग और है पीड़ा भी  लेकिन रोऊँ भी तो कैसे  परिस्थितियों ने स्ट्राँग लेडी बना दिया नहीं बनना चाहती  हर पल स्ट्राँग लेडी दुष्कर है निभाना  स्ट्राँग लेडी का किरदार अब मन में दबे जज़्बात  निकालना चाहती हूँ  सबको अवगत कराना चाहती हूँ अपने अंदर दबे बेपनाह प्रेम से और वो दमित दर्द निकाल बस मन हल्का करना चाहती हूँ ॥

हनुमत जन्म गीत

 केसरी-अंजनी के हो गए ललन सखी हो गए ललन सब गाओ उठान। गाओ उठान सब गाओ उठान केसरी——- राम की छठिया पर धूम मची थी,धूम मची थी सखी धूम मची थी उहै दिनवा भोले  लिए अवतार,लिए अवतार सब गाओ उठान केसरी ———- उहै अवतार देखा हनुमत कहाए,हनुमत कहाए सखी हनुमत कहाए उहै हनुमत सियाराम के भाए सब गाओ उठान केसरी—— भर दिनवा सियाराम के जापैं,राम के जापैं सियाराम के जापैं सिनवा फ़ार सियाराम दिखाएँ सब गाओ उठान  केसरी———

देवी गीत

 रुनझुन करत मइया आईं भवन,मइया आईं भवन मोरा जिया हरसाए। पहिले पहल मइया असना ले आउब,असना ले आउब मइया तोहके के बैठाउब उहै असना देख जिया हरसाए,जिया हरसाए मइया ——— मइया के पउआँ मा रंगना लगाउब रंगना लगाउब मइया बिछिया पहिराउब उहै पउआँ देख जिया हरसाए,जिया हरसाए मइया आईं भवन मा। रुनझुन करत ———- मइया के हथवा मा मेंहदी लगाउब मेंहदी लगाउब मइया चुड़िया पहिराउब उहैं हथवा देख जिया हरसाए,जिया हरसाए मइया आईं भवन मा रुनझुन———— मइया के मथवा मा बिंदिया लगाउब बिंदिया लगाउब मइया सिंदुरा पहिराउब उहै मुखड़ा देख जिया हरसाए,जिया हरसाए मइया आईं भवन मा। रुनझुन——— मइया के हम तो लंहगा पहिराउब लंहगा पहिराउब मइया चुनरी ओढ़ाउब उहै रुपवा देख जिया हरसाए,जिया हरसाए मइया आईं भवन मा रुनझुन———- मोरा ———।

राम जन्म गीत

 मनवा मा हमरे उठे हिलोर, उठे हिलोर सखी कासे कहूँ सखी कासे कहूँ मनवा——— कमरिया में कोसिला के उठी है पीर सखी उठी है पीर  सखी कासे कहूँ  मनवा——— चैत नवमइया म जनम लिए  हमरे रघुवीर,हमरे रघुवीर  सखी कासे कहूँ मनवा मा ——— राम जनम की सुनकर खबरिया दसरथ लुटावैं देखो मोहरिया  सखी कासे कहूँ मनवा——- राम लला की सुनकर खबरिया घर-घर बाजे देखो बधाइया सखि कासे कहूँ  मनवा——

देवी गीत

तेरे दर्शन को कब से खड़ी मइया खोलो कपाट खोलो कपाट मइया,खोलो कपाट। तेरे दर्शन ———— मइया के मन को सिंदूरा भावे मनिहारन बनकर कब से खड़ी मइया खोलो कपाट तेरेदर्शन——- मइया के मन को गुड़हल भावे मालिन बनकर कब से खड़ी मइया खोलो कपाट  तेरे दर्शन ———- मइया के मन को चुड़ियाँ भावे चुड़िहारन बनकर कबसे खड़ी,मइया खोलो कपाट तेरे दर्शन—— मइया के मन को बिछुआ भावे सोनारन बनकर कबसे खड़ी मइया खोलो कपाट तेरे दर्शन———- मइया के मन को लंहगा भावे बजजवा बनकर कबसे खड़ी मइया खोलो कपाट तेरे दर्शन ——— मइया के मन को हलवा भावे हलवाइन बनकर कबसे खड़ी मइया खोलो कपाट तेरे दर्शन ———— खोलो कपाट ——— तेरे दर्शन ———।