शिकायत
बस इतनी सी तो शिकायत है
कि तुम मुझे समझते नहीं।
क्यों नहीं समझते मुझे ?
बुद्धिजीवी लड़कियाँ पसंद हैं तुम्हें
ऐसा ही तुमने बताया था
हमारे प्रथम मिलन पर।
याद है ना ?
जब तुम मुझे देखने आए थे
मैं भी प्रभावित हो गई थी
तुम्हारी सोच पर।
झूम उठी थी
अपनी क़िस्मत पर
कि मुझे समझने वाला मिल गया ।
कितने भ्रम में थी मैं
भ्रम टूट गया
अब सब्र भी टूट रहा।
प्रेम करते हो तो दर्शाते क्यों नहीं ?
बस एक बार मुझे समझ लो
टूट जाऊँ मैं , उससे पहले बचा लो।
एक सच से रूबरू कराऊँ
पल-पल टूट रही हूँ
पर इतनी कमजोर भी नहीं
कि बिखर जाऊँ
हाँ , तुम मुझे समझ लोगे
तो, मैं जी उठूँगी
बस इतनी सी तो शिकायत है
कि तुम मुझे समझते नहीं।
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