अम्बुज
किससे कहूॅं
ह्रदय की व्यथा
हे अम्बुज ! बन सखा
सुन लो मेरी गाथा
वेदना मेरी तुम समझना
अपने अंतस में उसको रखना
किंतु बोझ मन में ना रखना
मेरे बदले तुम गर्जना
अश्रु नीर को समेट
उर में अपने रखना
किंतु मेरे अश्रु
का अपमान ना करना
चक्षुजल बरसा कृषक
और धरा की प्यास बुझाना
सखा बन तुम मेरे
मेरे अश्रु की लाज तुम रखना ।।
भावपूर्ण।
ReplyDeleteBahot sunder bhavna
ReplyDeleteBahut sunder bhav purn rachna
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