नारी शक्ति
नारी को कमजोर ना समझो
है सृष्टि की वह आधारशिला,
फिर भी समझा नारी को अबला ?
हममें यशोदा, लक्ष्मीबाई
छोटी उषा मेहता ने भी अंग्रेजों को धूल चटाई
स्वर कोकिला लता कहाईं
हममें करुणा मदर टेरेसा सी समाई
कुदरत की वह अनमोल रचना
फिर क्यों मिली उसे सदा वंचना ?
किया प्रताड़ित सदियों तक
गर्भ में ही कर हत्या
जीवन का अधिकार भी छीना
अनपढ़ रख अधिकारों से
हमको हमारे स्वत्व से ही वंचित रखा
किन्तु ,समय ने अब ली है करवट
परिवर्तन की लौ जली है
बाधाएँ तो अब भी बडी है
फिर भी नारी दृढ़ता से खड़ी है
शिक्षा की ताक़त वह पहचान चुकी है
अपनी शक्ति को वह जान चुकी है
स्वावलंबी बन कुप्रथा से लड़ने की ठान चुकी है
दुनिया भी अब यह सत्य स्वीकार चुकी है
नारी को सबला मान चुकी है ॥
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