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Showing posts from March, 2024

रस का प्याला

म से मंदिर और म से मदिरालय स्थल ओतप्रोत  रस से दोनों  किंतु बिखरते धाम  मदिरालय से  मदिरालय जाने वाले डरते मंदिर जाने से  है ज्ञात उन्हें सोमरस पर भारी रस भक्ति का मदिरालय जाने वालों मंदिर जाकर तो देखो भक्ति रस का प्याला पीकर के तो देखो प्रेम नारायण से करके तो देखो सालों जिए अपने लिए नारायण के लिए जी कर तो देखो रास ना आए संग नारायण का पलट जाना तब पुनः अपने मदिरालय को ।।

होली खेलें भोले-गौरा

 होली खेलें भोले- गौरा काशी में होली‌ खेलें भोले- गौरा हिल मिल आवैं (सब) भूत बेताला भस्म से सबमिल खेलें खेला  कैसी है अद्भभुत भीरा, काशी में होली खेलैं भोले- गौरा काशी में  होली—— सखियन संग घूमे मां  गौरा लेकर हाथ अबीर का झोरा ढूँढें मिले ना भोला , काशी में  होरी खेलें—— कहाॅं छुपे हैं मेरे प्यारे भोला नंदी से पूछे माता गौरा  खेलें मसाने में होली भोला खेलें मसाने में होली भोला होली खेलें भोले- गोरा काशी‌ में होली खेलें भोले-गोरा 

ऋतुराज

 आई है ऋतु बसंत  उल्लासित हो लिख दूॅं कैसे मैं कविता  बहती है क्या अब भी  वैसी  ही बयार लुप्त हो गई  कूक कोयल की   अनुभूति होती थी जिसकी होते ही भोर  रहीं नहीं अब‌  पहले जैसी ऋतुएँ सरसों के पुष्प  चोटिल ओलों से  बौर आम के  घायल वृष्टि से हलधर का मुख मलिन देख फसल का हश्र   लेखनी भी हुई शांत ऋतुराज के आगमन पर।।

हनुमान भजन

 सिया राम का लगा लो जयकारा कि खुश होंगे बजरंग बाला राम की छठिया पर बाजे नगाड़ा केसरि- अंजनि के हो गए लाला अब तो लगा लो जयकारा कि खुश होंगे मारुत लाला इन्द्र  ने हनु पर किया प्रहारा शिव ने तब हनुमान पुकारा अब तो लगा लो जयकारा  कि खुश होंगे अंजनि लाला सिया खोजन सिंधु पार किया सुमित्रा नंदन के प्राण बचाया अब तो लगा लो जयकारा कि खुश होंगे केसरी लाला विभीषण ने जब ताना मारा सिया राम दिखावन उर को चीरा अब तो लगा लो जयकारा कि खुश होगें राम मतवाला

नारी शक्ति

 नारी को कमजोर ना समझो है सृष्टि की वह आधारशिला, फिर भी समझा नारी को अबला ? हममें यशोदा, लक्ष्मीबाई छोटी उषा मेहता ने भी अंग्रेजों को धूल चटाई स्वर कोकिला लता कहाईं हममें करुणा मदर टेरेसा सी समाई कुदरत की वह अनमोल रचना फिर क्यों मिली उसे सदा वंचना ? किया प्रताड़ित सदियों तक  गर्भ में ही कर हत्या जीवन का अधिकार भी छीना अनपढ़ रख अधिकारों से हमको हमारे स्वत्व से ही वंचित रखा किन्तु ,समय ने अब ली है करवट परिवर्तन की लौ जली है बाधाएँ तो अब भी बडी है फिर भी नारी दृढ़ता से खड़ी है शिक्षा की ताक़त वह पहचान चुकी है अपनी शक्ति को वह जान चुकी है  स्वावलंबी बन कुप्रथा से लड़ने की ठान चुकी है दुनिया भी अब यह सत्य स्वीकार चुकी है नारी को सबला मान चुकी है ॥

मतदान करो

मतदान करो‌ मतदान करो अपने अधिकार का मान करो उपहार है ये लोकतंत्र का उस उपहार का मान करो मतदान करो मतदान करो अपने अधिकार का मान करो  हो अट्ठारह वर्ष से‌‌ ऊपर  नर-नारी,वृद्ध या किन्नर सब चलकर मतदान करो मतदान करो‌ मतदान करो अपने अधिकार का मान करो साक्षर हो या हो निरक्षर हो अमीर या हो फकीर घर से निकलो मतदान करो मतदान करो मतदान करो अपने अधिकार का मान करो अपने मुखिया को चुनकर  सौ प्रतिशत मतदान कर बलरामपुर का नाम करो(लोकतंत्र मजबूत करो) मतदान करो मतदान करो अपने अधिकार का मान‌ करो