बदलता समय और अकेलापन

       समय हर पल बदल रहा है और समय के साथ हम भी। बदलाव प्रकृति का नियम है , उस बदलाव को स्वीकार करते हमें आगे बढ़ना होता है । लेकिन कुछ बदलाव समाज में ऐसा आया कि ना चाहते भी मनुष्य अकेलेपन का शिकार हो रहा । 

        फ़ेसबुक, व्हाट्सअप ,इंस्टाग्राम पर सक्रिय हैं सब । लेकिन मेल - मिलाप ना के बराबर । जब मेल - मिलाप ही नहीं रहेगा तो सुख दुःख किसी से कहना भी मुमकिन नहीं ।

    सब इतना व्यस्त सचमुच हैं या व्यस्तता का दिखावा कर रहे। क्योंकि मेरा मानना है कि चौबीस  घंटे में दस मिनट का भी समय नहीं लोगों के पास कि अपने मित्र का समाचार ले ले या दे दें ।मित्र इसलिए लिखा क्योंकि अभी भी हम परिवार वालों का समाचार ले ही लेते हैं ।

      फ़ेसबुक पर ऑनलाइन दिखेंगे व्हाट्सअप पर ऑनलाइन दिखेंगे लेकिन ना फ़ोन पर संपर्क करेंगे और ना ही मैसेज का जवाब। ज़्यादातर लोग यही कर रहे ।इसका अर्थ कि वो आपसे संबंध रखना ही नहीं चाहते जब आप संबंध रखना ही नहीं चाहते तो फिर अकेलेपन की शिकायत क्यों ? 

        लेकिन मेरे पास इसके अपवाद भी हैं जिनसे फ़ेसबुक के माध्यम परिचय हुआ और अब बातचीत भी होती है और मेरे बेटे के सर (स्वर्ण सर) से मैं केवल एक या दो बार मिली हूँ लेकिन अभी भी हम संपर्क में हैं । मेरे ब्लॉग या कान्हा पर उनका कमेंट अवश्य आता है ना आने पर जब चिंतित हो पतिदेव से कहती हूँ तो तुरंत बोलते हैं “हाल-चाल ले लो ।” और मेरे पूछने पर उत्तर अवश्य देते हैं।

      आजकल ईमोजी का ऐसा दौर चला है कि लोग वही भेज देते हैं । क्यों ? मेरे समझ से परे है। अगर लिखने में परेशानी है तो वॉयस रिकॉर्ड कर भेज दीजिए । लेकिन वो भी नहीं ।

        ज़रूर समाज से दूरी बनाने का कोई तो कारण होगा । क्योंकि अरस्तू ने कहा है “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।” 

        अपने नज़दीक किसी को तो रखिए और अकेलापन हावी ना होने दीजिए ।

Comments

  1. सामाजिक संपर्क का अभाव सचमुच बहुत बड़ी समस्या है, डिजिटल क्रांति के कई फायदे हैं तो ये सबसे बड़ी हानि भी है की लोगो का व्यक्तिगत संपर्क काफी कम या लगभग समाप्त हो गया है, आपने हमेशा की तरह इस समस्या को भी काफ़ी प्रभावशाली तरीके से व्यक्त किया है, शुभकामनाएं

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  2. Aaj ka manav ab digital manav ho raha hai, isliye samaj bhi virtual ho gaya hai. Uske mastishk mein hi samaj bhi hai. Feelings baatne ke bajay ab wo khyali duniya mein hi vyast hai. Ye akelapan hi dega. Vyaktigat sampark aawashyak hai sajivta ke liye. Brajeshhi

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  3. Bahut hi achchha likha aapne.Brajesh

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