विश्वास

    मेरी एक दोस्त ने सालों पहले मुझसे कहा था ,”डॉली, ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए करता है । हो सकता है उस वक्त उसका निर्णय हमें सही ना लगे लेकिन कुछ समय बाद हम यह मानते हैं कि जो हुआ था अच्छा हुआ था ।” तब से जब कभी निराश होती तब अपनी कहीं दोस्त की बात याद कर लेती ।
     “ ईश्वर जो करता है वह सदैव अच्छा ही होता है।” इसपर तो मैं विश्वास करती ही हूँ साथ ही “जब हम किसी नए व्यक्ति से मिलते हैं तब उसका भी कोई ना कोई प्रयोजन होता है” यह भी मैं मानती हूँ ।तो ऐसे ही फ़ेसबुक ने मुझे और मधु दीदी को मिलाया ।कितना कुछ उनसे सीखने को मिलता है और सलाह सदैव जो हितकर हो वही देती हैं ।तो एक दिन उन्होंने मुझे फ़ोन पर कहा, “ जया, ऑलइंडिया रेडियो में उद्घोषक का फ़ॉर्म निकला है भर दो।मैंने उनके निर्देश का पालन किया और फ़ॉर्म भर दिया।
     परीक्षा की तिथि आ गई थी लेकिन मुझे आँख में दिक़्क़त हो गई और मेरा पढ़ना दुष्कर । लेकिन मैं इस मौक़ा को गँवाना नहीं चाहती थी तो मैंने यूट्यूब पर सुनकर तैयारी की और बीच-बीच में पतिदेव और मधु दीदी भी मदद करते थे।लिखित परीक्षा तक मेरी हालत में काफ़ी सुधार हो गया ।
         मैंने परीक्षा सफलतापूर्वक दे ली और परीक्षा में सफल भी हो गई । अब बारी थी स्क्रीनिंग की, जिसे मधु दीदी और मेरे छोटे भाई रमन की परिचित की मदद से मैं तैयारी कर रही थी । लेकिन बिना व्यवधान मैं कुछ कर लूँ यह कैसे संभव हो सकता है तो मुझे साँस का अटैक पड़ा और उस समय जो दवाएँ लीं उससे मुझे होंठ में घाव हो गया जिसमें खून आने लगा था और मैं बोलने ही नहीं खाने - पीने में भी असमर्थ हो गई । ख़ैर हालत में धीरे-धीरे सुधार होना शुरू हो गया था । जब बात करने लायक़ हुई तब मधु दीदी ने पूछा, “ दे पाओगी ?” मैंने प्रतिउत्तर में कहा हाँ, देंगे ।
       मैं समय पूर्व ही नियत स्थान पर स्क्रींनिंग के लिए पहुँच गई ।उस दिन भी सुबह होंठ से खून आया था । पतिदेव ने हालत देखकर पूछा , “ साथ चलें ?” और मैंने मना कर दिया । खाना ना खाने की कमजोरी और बिमारी ने शरीर तोड़ा था, हिम्मत नहीं । उस दौरान मेरा परिचय शिल्पी मैम से भी हुआ, वो भी उद्घोषक पद पर कार्यरत हैं । वो मेरी हिम्मत बढ़ा रहीं थीं कि, “ जया जी सब अच्छा होगा परेशान मत होइए ।” मैंने  स्क्रीनिंग दी और स्टूडियो से बाहर आते ही अपना रिज़ल्ट भी जान गई थी ।
        सबसे पहले दीदी और फिर पतिदेव को स्क्रीनिंग कैसी रही बताकर घर वापिस आ गई । अब रिज़ल्ट का इंतज़ार था जिसमें देरी हो रही थी । एक दिन दोपहर में दीदी का फ़ोन आया और फ़ोन उठाते समय अंदर से आवाज़ आई “रिज़ल्ट आ गया ।” और दीदी ने कहा, “ जया रिज़ल्ट आ गया ।”  प्रतिउत्तर में मैंने कहा, “ और मैं फेल हो गई ।” दीदी ने कहा, “अरे तुम देने गई वही बहुत था, हमें तो बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि तुम देने भी जाओगी ।” मुझे परिणाम मालूम था पहले से। लेकिन यह इस सच से इंकार नहीं करूँगी कि थोड़ा दुख तो हुआ था । लेकिन कहते हैं ना कि 
“ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है ।” इसमें मुझे पूर्ण विश्वास है तो पक्का कुछ अच्छा ही होगा ।
           
          
         

Comments

  1. Shayad koi aur badi safalta ke liye screening lene wala ho, isliye man ki thakan ko naye hauslon ki udaan chahiye. Be positive, jo abhi nahi mila wo aage milega. Live with his spirit.

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  2. 👌👌👍👍

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  3. ईश्वर के बारे में विश्वास और घटनाओं के उद्देश्य व्यापक रूप से भिन्न हैं। कई लोगों को इस विचार से राहत मिलती है कि जो कुछ भी होता है, चाहे उसे अच्छा या बुरा माना जाए, वह एक बड़ी योजना का हिस्सा है या एक बड़े उद्देश्य को पूरा करता है। यह एक ऐसा परिप्रेक्ष्य है जो अक्सर आस्था और व्यक्तिगत व्याख्या पर आधारित होता है।

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    1. पूर्णतया सहमत

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    2. Auntyyyy wowwwwww❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

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