भक्त चले कैलाश

 भक्त चले कैलाश कि बुँदिया पड़ने लगी

कैलाश में मेरे भोले बिराजे

भोले संग प्यारी गौरा बिराजें

दोनों की महिमा अपार 

कि बुँदिया पड़ने लगी

भक्त———-

अंग में उनके गेरुवा साजे

गेरुवा संग काँवड़ भी साजे

भक्तों की भक्ति कमाल

कि बुदिया—

 भक्त——-

हाथ बेलपत्र धतूरा सोभे

धतूरा संग भांगगोला सोभे

सब देख भोले निहाल

कि बुँदिया——-

भक्त——





 

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