अविस्मरणीय प्रसंग
हम सब के दिलो - दिमाग़ में कुछ घटनाएँ या बातें ऐसी हावी होती हैं कि कितना भी भूलना चाहें नहीं भूल पाते । वो घटनाएँ सुखद या दुखद कैसी भी हो सकती हैं । कुछ दिनों पहले तक मैं यह सोचती थी कि मेरे ऊपर बचपन की बातें ज़्यादा हावी हैं लेकिन अभी हाल ही मेरा यह भ्रम टूट गया।
मैं अपने को सौभाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे ऐसे लोगों का सानिध्य प्राप्त हुआ कि उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता रहता है ।इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनसे मैं फ़ेसबुक के माध्यम से मिली । तो ऐसे ही फ़ेसबुक के माध्यम से दो - तीन महीने पहले मधु दीदी से परिचय हुआ । मालूम चला वो इलाहाबाद में ही पढ़ी है और अभी राँची में रह रहीं साथ ही ऑल इंडिया रेडियो में उद्घोषिका हैं ।पहले तो वो मुझसे “आप” कहकर बात करतीं थीं फिर बातचीत के दौरान उन्हें ज्ञात हुआ कि मैं उनसे छोटी हूँ ,जैसे ही उन्हें यह मालूम हुआ तुरंत उनके मुँह से निकला,”अरे ! तुम तो हमसे बहुत छोटी हो ।” उस दिन से हम दोनों में बहन का रिश्ता क़ायम हो गया। अब नित्य बात करना हमारी जीवनचर्या में शामिल हो गया था ।मज़ेदार बात यह थी कि हम लोग अभी तक मिले नहीं थे।
एक दिन अचानक मधु दीदी बोलीं, “ जया उद्घोषक का फार्म निकला है भर दो ना। हो गया तो अच्छा ही है ना ।” मैंने भी सहर्ष उनकी बात स्वीकार ली और कहा, “हाँ, भर देते हैं जो होगा देखा जाएगा ।” परीक्षा में विलम्ब हो रहा था कि दीदी बोली “जब तक exam नहीं हो रहा तुम talker का फ़ॉर्म भर दो, हम बताएँगे क्या करना है।” मैंने talker का फ़ॉर्म भी भर दिया और प्रोग्राम अधिकारी के समक्ष उपस्थिति भी लगा दी । उस दिन पहली बार मैं और दीदी आमने - सामने थे।
प्रोग्राम अधिकारी ने पूछा , “ कुछ लिखती हैं, कहानी कविता ? कहीं छपी है ?” मैंने कहा हाँ थोडा - बहुत ब्लॉग पर ही लिखती हूँ और कहीं भेजा नहीं है छपने के लिए ।” उन्होंने मुझे अपनी कुछ रचनाएँ भेजने का आदेश दिया । उनको रचनाएँ भेजने के उपरांत मैं घर निकल गई कि मैसेज आ गया कि टॉकर में रजिस्ट्रेशन हो गया है ।उस दिन अपने दोस्त अनूप की बात याद आ गई जब हम दोनों लॉ कर रहे थे तब उसने मुझसे कहा था , “ डॉली तुम्हारी आवाज़ बहुत अच्छी है रेडियो में फ़ॉर्म निकला है भर दो ।” मैंने उसकी बात को कभी गंभीरता से नहीं लिया और इस बात को भूल गई। भूल गई ? नहीं , भूले होते तो उसकी कही बात याद ना आती ।
कुछ दिनों में मेल भी आ गई कि 22 जून को पंद्रह मिनट का काव्य पाठ करना है । अब तक जो मैं सामान्य थी हड़बड़ा गई कि पंद्रह मिनट क्या कविता बोलेंगे और किस विषय पर ? ब्लॉग पर तो जो मन आता था वही लिखते थे । मुझे विषय भी दे दिया गया और सात - आठ कविता लिखने का निर्देश भी । अब मैं तन - मन से कविता लिखने में जुट गई कि परीक्षा तिथि भी आ गई । सोचा कर लूँगी सब। लेकिन मेरा सब कुछ सुचारू रूप से हो जाए ये संभव नहीं । तबियत ख़राब होना बाक़ी था वह भी हो गई । पेट दर्द असहनीय था तब भी मैं लिख ले रही थी कि आँख में समस्या हो गई । अब लिखना असंभव हो गया था डॉ को दिखाने के बावजूद आराम नहीं मिल रहा था । खिसियाहट बढ़ती जा रही थी।परीक्षा की तैयारी तो मैं यूट्यूब पर वीडियो सुनकर कर रही थी लेकिन कविता ? ब्रजेश भी मेरी हालत देखकर अंत में बोल दिए कैसे करोगी मैंने भी प्रतिउत्तर में कह दिया जिसने रास्ता दिखाया है वही नइया पार करेंगे । मैं कविता किसी तरह लिखती फिर हिन्दी साहित्य के महारथियों (मधु दीदी, रचना भाभी , गुड़िया , पूजा और भइया) को भेज देती । जिसको जहाँ कमी लगती वो बताता और फिर उसको सही करती । रिकॉर्डिंग का समय नज़दीक था आँख में भी आराम मिल गया था कि अचानक जिस दिन रिकॉर्डिंग थी उसी दिन फिर आँख से पानी आना शुरू हो गया।
नियत समय पर रिकॉर्डिंग के लिए पहुँच गई ।डर से हालत ख़राब थी ब्रजेश बोले, “डर रही हो तो साथ चलें ?” मैंने मना कर दिया । मधु दीदी बोंली रिकॉर्डिंग के समय मैं पहुँच जाऊँगी, डरना मत ।लेकिन दीदी के पहुँचने के पहले ही मुझे स्टूडियो चलने का आदेश दे दिया गया । मैं स्टूडियो की ओर बढ़ रही थी कि जीजा जी (मधु दीदी के स्वामी) को अभिवादन करने के लिए मैं जैसे ही रुकी कि एक मैडम मुख्य द्वार खोलकर बोलीं आइए और मेरे आँखों के समक्ष तुरंत ऑपरेशन थिएटर का मुख्य द्वार घूम गया अब तो मेरी हालत खराब ।मुझे उन मैम में नर्स दिख रही थी जो मुझे हिम्मत बढ़ाते अंदर ले जा रहीं थीं “डरिए मत, केवल माइक में बोलना है।” डर पर विजय प्राप्त कर मेरी रिकॉर्डिंग हो गई ।रहा सहा डर तब काफ़ूर हो गया जब प्रोग्राम अधिकारी ने कहा आपका उच्चारण बहुत साफ़ है और लिखती भी अच्छा हैं ।”
ये ऑपरेशन थिएटर का डर अच्छे समय हावी होगा सोचा ना था । अब कविता पाठ के प्रसारण का समय निकट है डर है कि कहीं साँस की आवाज़ ना आ गई हो।
बेहद खूबसूरत
ReplyDeletePahli shuruwaat koi bhi ho uski yatra aise hi shuru hoti aur phir dar ke aage jeet dikh jaati hai. Future ki chinta kyon jab us par apna jor hi nahi. Abhi ko best tarike se jio, yahi aage le jayega. Koi n koi aage milta hi jayega agar soch achchhi hogi. Good Luck ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete👏🏻👏🏻
ReplyDelete👌👏❤️
ReplyDelete👏👏❤️❤️
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