अवध मा बाजै बधइया

आज अवध मा बाजै बधइया,बाजै बधइया

नगरी सज गई जैसे दुल्हनिया

नर- नारी मिल गावैं सोहरिया

आज अवध मा ——-

कोसिला कहाएँ राम की मइया

मँझली रानी भरत की मइया

लखन- शत्रुघ्न की सुमित्रा मइया

आज अवध मा बाजै बधइया


विष्णु लिए हैं राम शरीरिया

शेषनाग लिए लखन शरिरिया

चारों ललन जन्में चैत नवमिया

आज अवध—-


नील वर्ण के बड़के भइया

श्वेत हैं तीनों लघुरे भइया

चारों पर दशरथ लुटावैं मोहरिया

आज अवध मा बाजै——











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