करवा चौथ

    सर्वप्रथम करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏।आज कोई भी त्योहार या पर्व किसी विशेष प्रांत या वर्ग विशेष का नहीं रह गया है।होली,दीपावली,ईद हिंदू मुस्लिम सब मनाते हैं और पहले जिस त्यौहार को केवल विशेष प्रांत से संबंधित माना जाता था उसको भी अब अन्य प्रांत के लोग जोश से मनाते हैं। पहले करवा चौथ केवल पंजाब,हरियाणा,हिमाचल प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश का माना जाता था और छठ बिहार-झारखण्ड व पूर्वी उत्तर प्रदेश का लेकिन अब ऐसा नहीं है।अब सब लोग हर त्योहार मनाना चाहते हैं व हर पल जीना चाहते हैं।

      लखनऊ में इतने साल रही हूँ तो हर पर्व की कुछ ना कुछ मुस्कुराने वाली घटनाएँ हैं ही। लखनऊ में हरतालिका तीज के साथ-साथ करवा चौथ का भी खूब प्रचलन है।एक बार मेरे पतिदेव ऑफिस से जल्दी आ गए जो मेरे लिए अप्रत्याशित था।जब मैंने आश्चर्य से जल्दी आने का कारण पूछा तो बोले, “आज करवा चौथ है ना।” (जो तीज पर कभी जल्दी नहीं आए वो करवा चौथ पर जल्दी आ गए थे🤦‍♀️)कुची और आद्या भी स्कूल से आकर मेरा सिर खा जाते थे कि मुझे भी करवा चौथ करना चाहिए।

       जानकी, शर्माआंटी और शर्मा आंटी की बहुएँ भी करवा चौथ करती थीं।उस दिन इतनी चहल-पहल रहती थी कि मेरे पैर घर पर टिकते ही नहीं थे।जानकी क्या पहनेगी कैसे तैयार होगी सब पर मेरा हुक्म चलता था।पूजा, शर्मा आंटी की छत पर होती थी।सच कहूँ तो सब महिलाओं में आंटी ही सबसे सुंदर लगती थीं। बड़ी बिंदी और जूड़े में लगा गजरा चार चाँद लगाता था (अंकल करवा चौथ पर आंटी के लिए गजरा ज़रूर लाते थे।)आंटी की छत से जब आम के पेड़ की ओट से चाँद दिखता था तब हम (मैं,मिस्टर आनंद,विशाल और बउआ) ऐसे खुश होते थे जैसे हम सब ने ही व्रत रखा हो।

         आंटी की छत से चाँद पहले दिखता था तो मोहल्ले की अन्य महिलाएँ भी पूजा करने आती थीं।इसी क्रम में एक बार एक परिवार उनकी छत पर आया और वो जोड़ा पूजा करने के उपरांत परिवार सहित छत के कोने में चले गए।मैं भी उत्सुक्ता वश उनके पीछे चली गई कि अब वो सबसे अलग क्या पूजा करने वाले हैं।उन पति पत्नी को देखने के बाद मेरी हँसी फूट पड़ी।ग़नीमत यह थी कि उनके सामने मैंने अपनी हँसी पर नियंत्रण कर लिया था।मुझे हँसता देख बउआ और मिस्टर आनंद परेशान कि मुझे अचानक क्या हो गया? तो मैंने हँसते हुए कहा उधर जयमाला का कार्यक्रम चल रहा।सबने एक स्वर में कहा,क्या ! तो हुआ यूँ था कि जैसे ही मैं उस कोने में पहुँची जहाँ वो परिवार था तो मैंने देखा कि पत्नी ने पति को गेंदें की छोटी माला पहनाई।उन लम्बे-चौड़े महाशय को गेंदे की माला में देख मेरे दिमाग़ में क्या आया होगा यह मैं आप पाठक गण पर छोड़ती हूँ।

    हर करवा चौथ पर यह घटना याद कर हँस ज़रूर लेती हूँ।आज भी मैंने, मिस्टर आनंद और बउआ ने यह घटना याद कर ठहाके लगा ही लिए।

       


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