दिल की बातें
दिल करता है रो लूँ
रोकर मन हलका लूँ
और सबको बता दूँ
कि मुझमें भी दिल है
जिसमें है बेहिसाब अनुराग
और है पीड़ा भी
लेकिन रोऊँ भी तो कैसे
परिस्थितियों ने स्ट्राँग लेडी बना दिया
नहीं बनना चाहती
हर पल स्ट्राँग लेडी
दुष्कर है निभाना
स्ट्राँग लेडी का किरदार
अब मन में दबे जज़्बात
निकालना चाहती हूँ
सबको अवगत कराना चाहती हूँ
अपने अंदर दबे बेपनाह प्रेम से
और वो दमित दर्द निकाल
बस मन हल्का करना चाहती हूँ ॥
Aadab bahut khoob
ReplyDeleteKabhi to asliyat se nazar milao
सचमुच, यह ज्यादातर मध्यवर्गीय लोगो, खासकर महिलाओं की समस्या है, हम लोग आडंबरों (तथाकथित जिम्मेदारियों) से इतना दबे रहते की स्वयं के लिए समय ही नही निकाल पाते
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