तुम बिन
केवल मेरे घर पर ना होने पर ही नहीं
बल्कि तुम बिन भी छा जाता है घर में सन्नाटा
सोफ़े पर आदमी से ज़्यादा कुशन
कोई रखता है भला ?
जब सोफ़े पर बैठते तो यही शिकायत
अब वो शिकायत करने वाला नहीं
कुशन जस के तस
फैलाने वाला नहीं।
हर बात पर बिना बोले क्यों नहीं रह पाते
अब यह शिकायत किससे करूँ
बोलने वाला ही नहीं।
मेरी ऊटपटाँग हरकत पर
पता नहीं अब ये लड़की क्या करने वाली है
टोकने वाला नहीं।
सच बताऊँ तो तुम्हारी नामौजूदगी में
मैं शांत हो जाती हूँ
हल्के दर्द में भी निढ़ाल पड़ जाती हूँ
मेरी हिम्मत हो तुम
केवल मेरे बिन ही नहीं
तुम बिन भी छा जाता है घर में सन्नाटा।
Mujhse behtar jo nikle wo naaj ho tum, beandaj ho rahe lamho ki lagaam ho tum,
ReplyDeleteEk dusre ki jindgi mein daakhil ho kar apni tarkik ladai ka parinam ho tum,
Magar man kabhi kabhi aawargi kar hi baithta hai, tabhi to aapke ahsaas ka naya pal mahsoos hota hai
Bahut khoob likha...🤺🤺🤺🙏🙏🙏
Very well written aunty 👌💯
ReplyDeleteVery nice❤️❤️
ReplyDelete