विद्रोह
प्रिया को नव वर्ष की बधाई देने के लिए फ़ोन उठाने ही जा रही थी उसका फ़ोन आ गया । हम दोनों ने एक - दूसरे को बधाई दी । उसकी आवाज़ में सुस्ती की झलक थी । मैंने पूछा , “ क्या हुआ इतनी सुस्त आवाज़ क्यों है ? ”कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ ठीक नहीं लग रहा” सुस्त आवाज़ में ही प्रिया ने जवाब दिया ।कुछ इधर - उधर की बात करने के बाद प्रिया बोली “ चलो यार बाद में बात करेंगे अभी तबियत ठीक नहीं लग रही”। ये प्रिया की आदत थी जब कोई बात टालनी होती तो वो अपनी बिमारी का सहारा ले लेती थी।
मेरी और प्रिया की दोस्ती को बीस साल हो गए थे इसलिए हम दोनों एक - दूसरे को बखूबी जानते थे ।बात करने के तरीक़े से मैं जान गई थी कि वो शारीरिक रूप से नहीं बल्कि मानसिक रूप से परेशान है । उससे बात करने के उपरांत मैं भी परेशान हो गई कि ऐसी क्या बात है जिसने उसे इतना परेशान कर रखा ।समझ नहीं पा रही थी कि उसकी परेशानी कैसे जानूँ और कैसे उसके चेहरे पर हँसी लाऊँ ? जो मेरी हर परेशानी की चाभी है आज वो दुखी थी ।”जब कोई अपनी परेशानी आपसे साझा ना करना चाहे तो उस वक्त उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ देना चाहिए”। ऐसा मेरा मानना है । इसी उधेड़बुन में थी कि आख़िर क्या हुआ होगा ? कि फिर फ़ोन बज उठा । प्रिया की सास का फ़ोन था, बात करने का मन तो नहीं था लेकिन किसी बुजुर्ग की उपेक्षा करना मेरी आदत में नहीं है इसलिए फ़ोन उठा लिया । मैंने प्रणाम किया और नववर्ष की बधाई दी प्रतिउत्तर में उन्होंने मुझे आशीष दिया ।फिर तुरंत बोलीं “ देख रही हो बिटिया तुम्हारी सखी प्रिया का मन कितना बढ़ गया है”। मैंने पूछा, “क्या किया प्रिया ने” ? तो तुरंत ग़ुस्से में बोल पड़ीं “काहे तुमको नहीं बताईं तुम्हारी सखी कि साल के अंत में क्या गुल खिलाईं”? मेरे ना कहने पर और ग़ुस्से से बोलीं “अभी तो दोनों सखी बतिया रही थी फिर कैसे नहीं मालूम” ।मैंने अपनी खिसियाहट पर नियंत्रण रखते हुए कहा, “सही में चाची कुछ नहीं मालूम प्रिया की तबियत ठीक नहीं थी तो ज़्यादा बात नहीं हुई”। “अच्छा, तो अब तबियतौ ख़राब हो गई उनकी । जो किसी को कष्ट देगा वो एइसनै भोगेगा”।चाची ग़ुस्से में बोलीं और भी ना जाने क्या - क्या प्रिया को बोले जा रहीं थी ।मैं उनकी बातें सुन रही थी ऐसा उन्हें लग रहा था जबकि मेरे दिमाग में यह चल रहा था कि आख़िर प्रिया ने किया क्या ? बहुत हिम्मत जुटाकर मैंने दुबारा पूछा “क्या किया प्रिया ने”? “अरे बिटिया, रानी (चाची की सबसे छोटी बेटी )आईं थीं हम प्रिया से रानी की पसंद का खाना बनाने को कहे तो बोली, “हम नहीं बनाएँगे”। अब तुम्हीं बताओ बिटिया कामवाली को चाय - नाश्ता करातीं हैं लेकिन हमारी बिटिया के लिए खाना नहीं बनाएँगीं । ये ठीक है”? चाची ने ग़ुस्से में मुझसे तेज आवाज़ में कहा था ।ओह! तो प्रिया ने विद्रोह कर दिया मैंने सोचा ।मैं अपने में खोई थी कि चाची फिर बोलीं , “अब तुम्हीं बताओ खाना बनाती तो छोटी हो जातीं क्या”? मैंने कहा, “ हाँ खाना बना देना चाहिए था, भले परोसती ना”। भले परेसती ना बहुत धीमें स्वर में कहा था जिसे वो सुन ना सकीं।(मैं चाहती भी यही थी ) “समझाना अपनी दोस्त को” कहकर चाची ने फ़ोन रख दिया ।
जो प्रिया किसी गरीब को खाना बनाकर खिला सकती है, अपने पिता तुल्य ससुर जी की सेवा तन - मन से करती है और मेरी बिमारी में मेरे पैर तक दबा सकती है उसने अपनी ननद के लिए खाना बनाने से मना कर दिया । क्यों ? शायद इस क्यों का जवाब मैं जानती थी लेकिन फिर भी प्रिया से जानना चाहती थी ।अब मैं चाह रही थी कि वो खुद मुझे बताए कि क्या हुआ ? मैंने उसके फ़ोन का दो दिन इंतज़ार किया उसने फ़ोन नहीं किया । जब वो ज़्यादा परेशान होती है तो वो ऐसा ही करती है । इसलिए मैंने ही पलटकर फ़ोन कर लिया और पूछ लिया (थोड़ा प्यार भरी झिड़की के साथ )बताओगी क्या हुआ ? उसने खिसियाकर जवाब दिया ,”सब तो जानती हो फिर क्यों पूछ रही” ? उसने जितना ही खिसियाकर कहा था मैंने उतने ही प्यार से कहा,”लेकिन तुमने तो नहीं बताया ना”। अब तुम बताओ क्या हुआ ? उसने एकदम दुखी स्वर में कहा,” हाँ मैंने रानी जी के लिए खाना बनाने से मना किया था । यार अब बर्दाश्त नहीं होता । कितना अपमान सहूँ ? बात का बतंगड़ बनाने में तो रानी जी को महारत हासिल है और फिर मुझे अपशब्द कहना ।अपने लिए तो 22 साल से सुन रही थी लेकिन बच्चों के लिए मैं नहीं सुन सकती। जब तक मैं सुनती रही, सहती रही तब तक किसी ने कुछ ना कहा। एक बार भी रानी जी को यह एहसास ना कराया गया कि उनके बोलने का तरीक़ा कितना गंदा है”। वो एक साँस में बोल गई थी । फिर हम दोनों में एक सन्नाटा छा गया था थोड़ी देर के लिए । फिर एक ठंडी श्वास खींचते हुए बोली ,”ऐसा नहीं है कि मुझसे कभी ग़लतियाँ नहीं हुईं हैं या कभी होगी नहीं लेकिन उसके लिए ऐसे गन्दे अपशब्द वो भी अपनी सबसे बड़ी भाभी को” ? बताओ सही है उसने मुझसे पूछा । मैंने ठंडा हम्म कहा ही था कि वो बोली “तुम ऐसे हम्म कर रही जैसे मैं ग़लत हूँ”। मैंने उत्तर दिया ,”नहीं मैं ये सोच रही थी कि वो इतना गंदा बोलती हैं और तुम्हारे यहाँ उन्हें कोई रोकने वाला नहीं”। अगर कोई रोकता तो जो मैंने किया वो करने की ज़रूरत ही ना पड़ती उसने थोड़ा ग़ुस्से में बोला ।अब जो मेरा अपमान करेगा मैं उसका स्वागत नहीं कर सकती”।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या कहूँ कि तभी मेरे मुख से निकल गया “सब के लिए खाना बना रही थी तो उनके लिए भी बना देती”। मेरा इतना बोलना कि वो ग़ुस्से से फट पड़ी और बोली,”जब कृष्ण ने शिशुपाल की सौ ग़लतियाँ ही माँफ की थीं तो मैं तो बहुत माँफ कर चुकी। अब नहीं करूँगी । सलाह देना आसान है करना कठिन । जाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जानें पीर पराई”। कहकर उसने फ़ोन काट दिया।
Har aadmi ko samman ke saath jeene ka adhikar hai. Jab ye swatantrta chhin jati hai to ek n ek din man vidroh kar hi baithta hai. Aise mein kisi ke updesh use jara bhi nahi suhate. Phir bhi koi aadmi agar apna kaam, duty kar raha ho to yah uski mahanata hai. Uske vidroh ko uchit star par samarthan milna chahiye.
ReplyDeleteKya kisi ka hridaya parivartan vidroh se sambhav hai, is par vichar karein. Vidroh to apni sthiti batane ka kaam kar deti hai bus. Kisi ke apman se uska badla to chukaya ja sakta hai lekin dwesh nahi, wo phir bhi jiwit rahta hai aur kisi n kisi ko kshati kar jata hai.
Jab aapke is reaction ko kuchh log sahi kah rahe hain to yeh bhi samman ki baat hai lekin kisi ke apman ki badaulat haasil hai.
Kya is se behtar samman wapsi ka koi aur rasta nahi?
ग़र में क्लेश पैदा करना और गाली देना बिल्कुल ग़लत है।
ReplyDeleteयदि भोजन न देने से उसकी आदत में सुधार हो जाए तो सही है। पर मेरे ख़्याल से उसकी इस आदत के लिए परिवार के बाक़ी सदस्यों से भी बढ़ावा मिल रहा है तभी सुधार का नाम नहीं है। जड़ कहाँ है, वहाँ खाद-पानी देना बंद करें।
You reminded me of someone.
ReplyDeleteAbsolutely unacceptable behaviour of 'nanad'. Rani should not have tolerated it for 22 years and should have spoke to her nanad when she first did it. Behavior of mother in law also partial and destructive for the healthy atmosphere of the family. I support Rani though she responded too late.
ReplyDeleteBy the way I'll not call it vidrh, it was only her emotional response.
Deleteबहुत सुंदर लिखा है आपने, पूरी कहानी में उत्सुकता बनी रही कि अंत मे क्या होगा?
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