आरती

    सुबह पूजा ख़त्म करने के बाद मैं  हनुमान जी की बड़ी सी फ़ोटो के आगे आरती गा रही थी, “आरती की जै हनुमान लला कि………….” कि अचानक कुछ ऐसा याद आया और आरती के दौरान ही हँसी आ गई।भगवान भी सोच रहे होंगे कि कैसी पुजारिन है कि पूजा भी बिना हँसे नहीं कर पा रही।क्या करूँ जानकी,हमजोली (मिस्टर आनंद सिंह बिष्ट ) के साथ बिताए पल ऐसे ही हैं।शारीरिक रूप से हम दूर हैं लेकिन हमारी यादें ऐसी हैं कि अकेले में भी हम तीनों ठहाके लगा लेंगे।मेरे एक मित्र के अनुसार “जो बीत गया उसको वहीं छोड़ देना चाहिए।” मैं इससे सहमत नहीं हूँ , जिन बीते पलों को याद करने से चेहरे पर मुस्कान आए या हँसी आए उनको हमेशा याद करना चाहिए।

       अब पूजा के दौरान हँसी आई है तो घटना भी पूजा से ही संबंधित है। हुआ यूँ था कि मेरे घर से एक घर छोड़कर एक आंटी रहती थीं।उनके दो बेटे हैं ,बड़ा बेटा मेरी उम्र का है। उन दिनों वो प्रतियोगी परीक्षाएँ दे रहा था लेकिन सफलता हाथ नहीं लग रही थी।स्वाभाविक है आंटी-अंकल भी उसके चयन ना होने से परेशान हो रहे थे।आंटी ज़्यादा ही परेशान थीं क्योंकि बिना जीविका वो विवाह करने को तैयार ना था।हम माँ जब ज़्यादा परेशान होते हैं तो भगवान की शरण में पहुँच जाते हैं।आंटी ने भी वही किया और वो साँई बाबा से मन्नत माँग बैठीं।साँई बाबा प्रसन्न हुए और बेटे का चयन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में हो गया।

       चयनोपरांत मन्नत अनुसार कीर्तन कराना था जो आंटी ने पूरे मनोयोग से कराया। मैनें और जानकी ने खूब गला फाड़-फाड़ कीर्तन में शिरकत की।कीर्तन ख़त्म होने के बाद आरती आरंभ हुई  ।अब चूँकि मन्नत साँई बाबा से माँगी गई थी तो आरती भी साँई बाबा की होनी थी।आंटी आरती का थाल लेकर बड़ी सी फ़ोटो के समक्ष खड़े होकर गा रहीं थी “आरती श्री साँई गुरुवर की……।”और हम सब हाथ जोड़े पूरी श्रद्धा से उनका अनुसरण कर रहे थे कि अचानक जानकी ने मुझे कोहनी मारते हुए कहा “ सुनिए फ़ोटो तो हनुमान जी की है।”अब तो हम दोनों के लिए बड़ी समस्या यह थी कि हँसी कैसे रोकें? जैसे ही आरती ख़त्म हुई हम दोनों गपोड़ी शीघ्र अति शीघ्र घर लौटे और  हमजोली को भी इस घटना की जानकारी देकर देर तक ठहाके लगाते रहे ।

     बात यहीं ख़त्म नहीं हुई हम दोनों यह घटना किसी महिला से साझा कर रहे थे कि वो हम दोनों पर कुपित हो गईं और बोलीं “उनमें इतनी श्रद्धा थी कि उन्हें (आंटी ) हनुमान जी में साँई बाबा दिख रहे थे।हम दोनों डाँट खाकर घर लौटे और बोले, हो सकता है आंटी को हनुमान जी में साँई बाबा दिख रहे हो लेकिन हम दोनों को तो हनुमान जी ही दिख रहे थे।अभी हम दोनों इतने बड़े भक्त नहीं हुए हैं ।

       

Comments

  1. Hain to puja mein lekin man chanchal hai dusre ki galtiya dikh rahi hain. Aisa man shararti hota hai. Bhagwan ka pura mahaul fit karne ke baad his inki dusri awastha chalu hoti hai. Control .....

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  2. Bohot khoob 👌 mujhe bhi ye ghatna yaad hai 😂

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