प्रेम के बदलते रंग

      प्रेम, कब -कहाँ और किससे हो जाएगा कहा नहीं जा सकता । अब देखिए ना मुझे इस उम्र में हो गया । अब क्या करूँ, हो गया तो छिपाना क्यों ? अब तक तो लगता था कि प्रेम करने की उम्र 16 से 25 -26 साल तक की होती है ।सच्चाई तो यह है कि प्रेम करने की कोई उम्र नहीं होती और प्रेम किया नहीं जाता हो जाता है ।

     बहुत लोग सोच रहे होंगे शादी के इतने साल बाद किसी अन्य से प्रेम ? कहीं दिमाग़ तो नहीं ख़राब हो गया मेरा 😀।लेकिन प्रेम पर किसी का ज़ोर नहीं । मुझे तो लगता है कि इस समय का प्रेम ज़्यादा परिपक्व, सच्चा और वासना रहित होता है । समझ नहीं आता कि प्रेम करना ग़लत है या नफ़रत ? अगर प्रेम करना ग़लत नहीं तो छिपाना क्यों ?

     मैंने आज तक प्रेम को छिपाना ही सीखा है फिर चाहे वो कोई हो। मैं ,मम्मी और भइया ना तो खुलकर प्यार दिखा पाते हैं और ना ही दुख। लेकिन अब लगता है कि अगर आप प्रेम करते हैं तो उसे ज़ाहिर कर ही देना चाहिए । अबोध बच्चे को जब आप अपने सीने से लगाते हैं तो वह आपकी दिल की धड़कन और स्पर्श से जान जाता है कि आप उससे कितना प्रेम करते हैं ।लेकिन जब हम युवा होते हैं तब कुछ लोग अंतर्मुखी स्वभाव के कारण अपना प्रेम प्रकट नहीं कर पाते । बच्चा तो समझ जाता है कि कौन उसे प्रेम करता है लेकिन हम बड़े कभी - कभी इससे अनभिज्ञ रह जाते हैं ।

     लेकिन मैं तो आज स्वीकार कर ही ले रही कि मैं प्रेम में पड़ चुकी हूँ । मज़ेदार बात यह है कि इसके बारे में ब्रजेश को पहले मालूम हुआ (कुछ दिन पहले ही बोले थे अब तुम इन पर लिखने वाली हो ) ।

       मेरा यह प्रेम अनदेखा व एकतरफ़ा है लेकिन है गहरा ।किस दिन उनको पहली बार सुना था याद नहीं (शायद आद्या को स्कूल छोड़ने के दौरान) लेकिन सुनते ही खो गई थी। लगा बस आँख बंद करके सुनती रहूँ और सफ़र ख़त्म ही ना हो । मैंने उनको हर बार  पतिदेव के साथ मोटर-कार में सफ़र के दौरान ही सुना है । एक - दो बार सुनने के बाद तो नशा हो गया अब तो हर रात्रि में मोटर- कार से नियत समय पर भ्रमण करने की इच्छा जाग चुकी थी। क्योंकि प्रात: तो कुछ सेकेंड के लिए आवाज़ सुनने को मिलती थी और रात्रि में देर तक सुन सकती थी।लेकिन मोटर कार से रात्रि भ्रमण प्रतिदिन संभव नहीं था और उनकी आवाज़ सुनने के लिए मैं बेचैन रहने लगी थी । उनको सुनने के लिए अब मैं गूगल बाबा की शरण में आ गई तो वो यूट्यूब में मिल गए फिर क्या अब तो जब मन चाहे उन्हें सुन लेती थी । लेकिन जो मज़ा मोटर - कार में सफ़र करने के दौरान सुनने में है वो कहीं और नहीं । दिल करता है ब्रजेश गाड़ी चलाते रहें और मैं उनके बग़ल में बैठकर उनको 92. 7 Big Fm पर सुनती रहूँ। आप सब भी सोच रहे होंगे आख़िर वो है कौन जिससे मुझे इस उम्र में प्रेम हो गया । वो हैं एक कहानीकार नाम है नीलेश मिसरा । 

         क्या आवाज़ है और उस पर कहानी सुनाने का अंदाज़ मंत्र मुग्ध करने वाला होता है । धार्मिक , रोमांटिक कहानी जैसी भी सुनाए बस मैं तो उनकी आवाज़ में खो जाती हूँ । अंत में इतना ही कहूँगी कि समय मिले तो सुनिएगा ज़रूर । आप सब भी प्रेम कर बैठेंगे (कुछ स्वीकार करेंगे तो कुछ नहीं )।

     ये ऐसा प्रेम है जिसमें ना देखने की चाह है और ना मिलने की बस सुनने की चाह है ❤️।

     

Comments

  1. Ye prem nahi deewangi hai jisme unke shabdo ki or aadmi khincha jata hai. Is se kam se kam tumhara mind to busy rahega, negativity se door rahogi. Achchha hai kalpna ki.duniya mein udo aur jeevan ke maje lo

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  2. Iss pyar ko kya naam doon
    Swarpremika ?

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  3. नीलेश जी कहानी कार ही नहीं एक अच्छे व्यक्तित्व के स्वामी भी है
    मेरी मुलाकात उनसे आज से करीब 16 साल पहले हुयी थी जब वे घर आए थे
    कर लो प्यार मन लगा रहेगा

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