माँ
आज सब बहुत खुश थे एक-दूसरे को बधाइयाँ दे रहे थे सबसे ज्यादा बधाई मुझे दे रहे थे और कह रहे थे कि मेरे कारण सब नए रिश्ते में बँधने जा रहे, क्योंकि मैं माँ बनने वाली थी मेरे कारण कोई दादी,नानी,चाचा,ताऊ,मामा और ना जाने क्या-क्या बनने वाले थे।सब सलाह दे रहे थे कि पहली बार माँ बनने जा रही हो संभल कर रहना ,भारी सामान नहीं उठाना,खाने पर ध्यान देना और पता नहीं क्या - क्या ? और मैं चुपचाप सबकी बात सुन रही थी और सोच रही थी कि क्या सचमुच मैं पहली बार माँ बनने जा रही हूँ ? माँ तो मैं 14 साल की ही उम्र में ही बन गई थी जब मेरी माँ ने मेरे भाई को जन्म दिया था और कहा था ,”अब तुम इसकी माँ हो आख़िर तुम्हें ही तो इसे पालना है।”
सच बताऊँ तो जैसे ही डॉ ने कहा कि,”आप माँ बनने वाली है “तो लगा चीख - चीख कर सबसे कह दूँ कि मुझे फिर माँ नहीं बनना, लेकिन आवाज गले में ही अटक गई थी। पतिदेव के चेहरे की खुशी देखकर समझ नहीं पाई क्या करूँ,क्या बोलूँ ? मैं फिर से माँ बनने के लिए तैयार नहीं थी। दिमाग में क्या चल रहा था कैसे बताऊँ ? मैं जड़वत हो गई थी कि तभी कानों में पतिदेव की चहकती हुई आवाज़ आई कि आज यहीं बैठी रहोगी या घर भी चलना है उसके बाद मैं डॉ के पास से घर कैसे आई मालूम नहीं।
अब धीरे-धीरे मैं गुमसुम रहने लगी थी।पतिदेव और घरवाले परेशान कि आख़िर हुआ क्या है ? सब यही सोच रहे थे शुरू के दिन हैं सही नहीं लग रहा होगा। सब मुझे खुश रखने की भरपूर कोशिश करते थे लेकिन मैं सामान्य नहीं हो पा रही थी। एक दिन मेरे पतिदेव ने बहुत प्यार से पूछा कि क्या तकलीफ़ है कुछ बताओ तो तब मैंने कहा “मुझे दुबारा माँ नहीं बनना”। इन्होंने आश्चर्यचकित होकर पूछा “दुबारा ! मतलब?” मैंने कहा “हाँ पहली बार तो माँ मैं उसी समय बन गई थी जब भाई हुआ था”।तब ये बोले “अरे वो तो तुमने अपने भाई को पाला है, पालने से कोई माँ नहीं बन जाता”। अब मैं कैसे समझाऊँ कि जन्म देने से ही कोई माँ नहीं बन जाता।
क्या वाक़ई मेरी माँ ही मेरे भाई की माँ थी ? इसका जवाब मेरे साथ-साथ मुझे जानने वाले भी दे देंगे।सवा महीने बाद से माँ भाई को छोड़कर पार्लर जाने लगी थी आप लोग कह सकते हैं कि अब वो काम करती थीं तो क्या करें मजबूरी थी।मैं भी इस बात को उस समय तो नहीं लेकिन अब समझती हूँ लेकिन क्या रात के दस बजे तक पार्लर चलाना ज़रूरी था,क्या हर सेमिनार में शामिल होना ज़रूरी था ? छोटी बहन के समय दादी थीं तो वो पल गई लेकिन भाई को मैंने ना चाहते हुए भी पाला। शुरु में नफ़रत और चिढ़ होती थी भाई से ।जब वो रोना शुरु करता था तो समझ नहीं आता था क्या करूँ और चिड़चिड़ाहट अलग होती थी।सबसे ज़्यादा नफ़रत तो उस समय होती थी जब रात को सोते-सोते वो रोने लगता था तब माँ -पिताजी चिल्लाते हुए कहते थे “ कैसी बहन हो अपने भाई को देख भी नहीं सकती । दिनभर से हम लोग थककर आ्ए हैं थोड़ी देर सुकून से सो भी नहीं सकते”। उस समय कभी माँ तो कभी मैं उसे देखते थे। समझ में नहीं आता था जब पालने का समय नहीं था को उसे इस दुनिया में लाए क्यों ?
कहा जाता है किसी पशु-पक्षी के साथ चार दिन रहे तो उससे भी प्यार हो जाता है फिर वो तो मेरा भाई था। अब वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगा था और मैं भी पिघलने लगी थी लेकिन माँ पिताजी के लिए मन में वो भाव ना आ पाया जो पहले कभी था। एक तरफ़ मैं और भाई क़रीब आ रहे थे तो दूसरी ओर मैं माँ-पिताजी से दूर हो रही थी ।
बच्चा पालना कितना कठिन होता है वो भी तब जब आप इसके तैयार ना हों। इस समय तो मुझे वो सब याद आ रहा था कितनी कठिनाई से मैंने भाई को पाला था और अब फिर से वो सब😞नहीं मुझसे नहीं होगा। कोई मेरी बात समझ नहीं रहा था बल्कि मुझे समझा रहे थे। दो महीने हो चुके थे लेकिन मैं उस अजन्मे बच्चे से जुड़ नहीं पा रही थी। रातों की नींद गायब हो चुकी थी । धीरे-धीरे मैं पीली पड़ने लगी थी, सब खूब ध्यान रखते थे लेकिन मेरे अंदर का डर ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा था।
एक दिन मेरी ननद मेवे खाने के लिए लेकर आई मैं एकटक उन मेवों को देख रही थी ।मुझे वो दिन याद आ गया जब पिताजी भाई को काजू-बादाम खिला रहे थे उसके ना खाने पर उन मेवों को मैंने खा लिया था जैसे ही मैंने खाया पिताजी तेज से चिल्लाए थे कि ये केवल भाई के लिए था, उसके बाद तो मैंने मेवे ना खाने की क़सम खा ली थी। आज उन मेवों को देखकर सब याद आ गया और अचानक मैंने रोना शुरू कर दिया। ननद घबरा गई कि अचानक क्या हो गया। अब तक डॉ और घर के लोग समझ चुके थे कि मैं डिप्रेशन की शिकार हूँ जिसका जल्द इलाज ना कराया गया तो बच्चे पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा। मेरी कांउसलिंग शुरू हो गई थी, धीरे-धीरे ठीक भी हो रही थी अब थोड़ा खुश भी रहने लगी थी ।बच्चे की हलचल महसूस करने लगी थी और अब उस अजन्मे बच्चे से जुड़ाव महसूस करने लगी थी । अचानक एक दिन मेरी माँ और पिताजी मेरी तबियत के बारे में सुनकर मुझसे मिलने आए उनके आने पर दिल की धड़कन तेज हो गई कि पता नहीं अब इन लोग क्या कहने वाले हैं। उस दिन माँ की आँखों में अलग भाव थे जिसे मैं समझ नहीं पा रही थी । अचानक माँ बोली, “भगवान करे बेटी, बेटा” उनका इतना ही बोलना था कि मैं चीख पड़ी थी ,”बस मुझसे फ़ालतू बात मत करना वरना अब मैं पागल हो जाऊँगी” । इतना सुनते ही माँ फफक कर रो पड़ीं बोलीं “मुझे माँफ कर दो बेटी तुम्हारी इस हालत के ज़िम्मेदार हम-दोनों हैं, अपनी चाहत (बेटा और पैसा) के चक्कर में हमने तुम्हें कच्ची उम्र में माँ बना दिया था , जब-जब तुम्हें हमारी ज़रूरत थी हम दोनों नहीं थे।आज हम-दोनों को अपने उन सारे अपराधों के लिए माँफ कर दो”।माँ जिस तरह रो रही थी उससे एहसास हो रहा था कि वो प्रायश्चित के आँसू थे। जाते-जाते माँ ने बोला,”बेटी, बस एक ही चाहत है कि बेटा हो या बेटी बस स्वस्थ हो”।
अब मेरे मन का भी मैल धुल गया था और अब मुझमें एक स्वस्थ बच्चे की माँ बनने की चाहत पूरी तरह से जाग चुकी थी।लेकिन क्या सचमुच मैं अपने अतीत को भूल चुकी थी ?
Kisi ke galtiyo ko sweekar kar lene se man ka bojh to halka ho jata hai lekin wo peeda jo kisi ne jheli wo khatm nahi hoti, uski chubhan kam ho jati hai. Nakratmakta jo panap jati hai us se ubarna jaroori ho jata hai. Magar anubhav kuchh n kuchh seekh de hi deta hai jo ki kimti hota hai. Is se aapka vyaktitva rich hota hai. Bure waqt ki seekh aage ki zindgi mein kaam aati hai. Unko maaf karo jo iske jimmedar hain.
ReplyDeleteChitran padhne se naari ka mansik dwandh w peeda spasht gochar hota hai. Dard ko shabdo mein bahut achchhi tarah piroya hai. 👌👌
🙏
DeleteYou always write differently and mesmerizing. Let bygones be bygones.
ReplyDeleteKeep posting.
Anand Singh Bisht, Lucknow
🙏
DeleteVery interesting Mami,On a scale from 1 to 10, you're an 11..Just go ahead with some more interesting stories
ReplyDelete😊
DeleteMan ke bhav aisa lgta hai jaise har ladki ke man se milte hai... Similarly mere bi🙄.. ek ladki jo paida hote hi smjhdar ho jati hai aur usse nasmjhi ki umeed bi kisi ko nai hoti khair... Ye kahani bhot kuch kahti hai...bhot sundar likha hai🙏💞
ReplyDelete😊
DeleteGajab kee lekhni hai
ReplyDeleteEsa lag raha hai samaj ko aaina dikhane me koi kaser nahi chodi
🙏
Deleteबहुत ही बढ़िया भाव!!
ReplyDelete🙏
Deleteबहुत सुंदर👌👌
ReplyDelete🙏
DeleteBahut badhiya
ReplyDeleteBahut hi achi story hai
ReplyDeleteMERI MAA❤🌏
ReplyDeleteLove the way how you write so beautifully on such topics 💯
ReplyDeleteItana sajeev na likha karen ki aapbiti lagane lage 😍🙏🏻
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