घर

    कहा जाता है एक मकान को “घर” औरत ही बनाती है।बिना औरत “घर” भूतों का डेरा लगता है।दो शब्दों से बने “घर” ने  आज फिर मन में उथल-पुथल मचा दी है।हम महिलाओं का घर है कहाँ?उम्र के इस पड़ाव में यह प्रश्न बहुत कचोटता है कि हम महिलाओं का “घर” कहाँ है? लड़की के जन्म लेते ही मान लिया जाता है कि वो परायी है फिर जैसे ही वह होश सम्भालती है उसको भी यह एहसास कराया जाता है कि उसे दूसरे घर जाना है और वही दूसरा “घर” ही उसका अपना घर होगा।विवाहोपरांत जहाँ जन्म लिया ,25-26 साल तक जिसे अपना घर समझा वह मायका हो जाता है और जहाँ विदा होकर गई वह ससुराल।

     मायके में कुछ शौक पूरे करना चाहा तो यह सुनने को मिलता था अपने “घर”जाकर पूरा करना,अपने “घर”आयी तो उस शौक को पूरा करने के लिए यह सुनना पड़ता है कि अपने “घर”से करके आती।बार-बार असमंजस की स्थिति कि कौन से घर को अपना कहें।क्योंकि (हम महिलाएँ)जब ससुराल से मायके जाती हैं तब कहती हैं अपने “घर” जा रहे और जब मायके से ससुराल तब भी कहती हैं अपने “घर” जा रहे।हम महिलाएं दोनों घरों को अपना मान रहे लेकिन वो दोनों घर हम लोगों को अपना नहीं मानते।

   आज संयुक्त परिवार सामान्यतः ख़त्म हो चुके हैं। लड़की विवाह के बाद पति के संग रहती है अब कुछ लोग यह कह सकते हैं कि पति के साथ जहाँ रह रही वही उसका घर है लेकिन वाद-विवाद की परिस्थिति में वही पति भी कभी ना कभी कह ही देता है कि,”ज्यादा  दिक्कत हो तो अपने घर चली जाओ।”फिर वही “घर”।

  मेरा यह लिखने का यह अभिप्राय बिल्कुल नहीं है कि ऐसा हर महिला के साथ होता है।यह मैं अपने कुछ ख़ास लोगों के ऊपर बीती घटनाओं के आधार पर लिख रही हूँ।

   मुझे आज भी याद है कि जब मीनू ने मुझे बताया कि उसने घर लिया है तब मैं बहुत खुश हुई थी और अभी भी लिखते वक्त उसी ख़ुशी का फिर अनुभव कर रही।आज की पीढ़ी की लड़कियाँ अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं और अपना “घर” बना रहीं ,जो अत्यंत सुखद है।

Comments

  1. लड़कियों के साथ उनके अपनों के ऐसे व्यवहार और उनके अपने घर को लेकर आपकी उथल-पुथल जायज़ है।

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    1. आपका उत्साहवर्धन मेरे लिए बहुत मायने रखता है

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    2. समय की मांग है कि हर लड़की स्वयं अपना घर बनाएं न कि सारे जीवन दूसरे का घर सजाए|
      एक एक लड़की उठे और मीनू बने

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  2. Samaj ki yahi sachai hai ek ladki ka apna koi ghar nai hota hai han ye alg bt hai ghar ko ghar bi wahi banati hai... Bhot hi aachaa likha apne 🙏👍

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  3. di maine abhi aapka post padha. thank you so much di. Aapne ekdum sahi aur sateek baat likhi...ek ladki dono side ko apna manti hai but dono hi side wo apni nahi hoti

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  4. दुर्भाग्य से आपने जो भी लिखा है वह पूर्णतया सत्य है, बहुत प्रभावशाली चित्रण

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  5. Hum kyon kisi ke ghar ke baare mein soche ki wo apna hai ya nahi. Apna ghar banayein. Kisi se koi asha karna hi kasht deta hai, yahi satya hai kyonki sab alag alag jeev hai.

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  6. Bahut hi adbhud

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