मेंहदी

सर्वप्रथम हरितालिका तीज की बहुत,बहुत बधाई।
       लखनऊ में बिताए सारे त्यौहारों की बहुत अच्छी यादें हैं और हर त्यौहार से जुड़ी मजेदार घटना जिसको याद करके चेहरे पर मुस्कान ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता। जो घटना बताने वाली हूँ उससे आप सब के चेहरे पर भी मुस्कराहट आ जाएगी।
  मुझे बचपन से ही मेंहदी लगवाने का शौक रहा है।लेकिन मुझे मेंहदी रचती नहीं थी क्योंकि मेरे हाथ बहुत ठंडे रहते हैं।(मेंहदी रचने और ना रचने का संबंध पति या सास के चाहने या ना चाहने से बिल्कुल नहीं है।इसलिए अगर मेंहदी रच रही तो  इस गफलत में ना रहे कि आपके पति आपसे बहुत प्यार करते हैं, उन पर निगाह रखिए😜) अब हाथ पहले से थोड़ा गरम रहने लगा है और मेंहदी कोन में केमिकल पड़ा होता है तो थोड़ा रच जाती है।
   सगाई और शादी पर मेरी भाभी की लड़की रिंकी और बहन महिमा ने बहुत मेहनत से बहुत सुन्दर मेंहदी लगाई थी लेकिन जब रिंकी सुबह -सुबह यह देखने आई कि मेंहदी कितनी रची है ? तब उसका पारा सातवें स्थान पर पहुँच गया बोली “आग लगे इस हाथ को,क्या करें कि रच जाए” वो अपना गुस्सा उतार रही थी और मैं किंकर्तव्यविमूढ़ थी।फिर उसने मेरे हाथों मे लौंग का धुँआ लगाया और हाथों में चूना लगाया तब जाकर मेंहदी का कुछ रंग चढ़ा।
 उसके बाद तो लखनऊ आकर ही मेंहदी लगाने का सिलसिला शुरू हुआ।जब से जानकी से घनिष्ठता हुई मैंने तीज पर मेंहदी उसी से लगवाई। जानकी में कई खासियतों में एक खासियत यह है कि अगर उसका किसी काम में मन लग गया तो तन-मन से जुटती है। पहली बार जब जानकी ने मेंहदी लगाई तब तबियत खराब होने के कारण मैं ज्यादा देर बैठ नहीं पाती थी तो मैंने अनगिनत पोज़ में मेंहदी लगवाई थी और उसने मुझे पूरा सहयोग किया था। मेंहदी बहुत सुंदर लगी थी, बहुत साल बाद लगाई थी और फिर जानकी ने लगाई थी तो मैं भी नाच-नाच सबको दिखा रही कि देखो जानकी ने कितनी सुंदर मेंहदी लगाई है। व्रजपात होना अभी बाकी था, दूसरे ही दिन मेरा हाथ जल गया😔।जानकी और शर्मा आंटी का कोप भी झेलना पड़ा "और दिखाओ सबको,नजर लग गई ना।”
 धीरे-धीरे जानकी का मन मेंहदी लगाने से हटने लगा पर मुझे तो उसी से लगवानी होती थी। जानकी कहती थी, "चलिए ना पत्रकार में लगवा आते हैं “और मै कहती थी , “लगाओगी तो तुम ही"।अंत में जीत मेरी ही होती थी। पिछले साल जानकी की ननद नीमा ने बहुत ही सुंदर मेंहदी लगाई थी। नीमा ने मेंहदी लगाई और संचिता ने खाना खिलाया था।बहुत याद आ रही सबकी।रश्क होता है अपने ऊपर कि मुझे लोग कितना प्यार करते हैं।
    मेंहदी से जुड़ी दो मजेदार घटनाएँ भी हैं लेकिन बता केवल एक ही सकती हूँ । नीमा की शादी में मैं और जानकी पत्रकार मेंहदी लगवाने गए वहाँ हम दोनों मेंहदी लगवाने बैठ गए।हमारे बगल में एक और महिला मेंहदी लगवा रही थी।उस महिला ने मेंहदी लगाने वाले से अनगिनत प्रश्न पूछे जैसे -“भइया पहले मुझे मेंहदी नहीं रचती थी, अब रचती है।सब लोग कहते हैं कि पति चाहता है तभी रचती है तो क्या सच में पति चाहता है तभी रचती है?” और भी ऊटपटाँग प्रश्न,और मेंहदी वाले का हम दोनों को देखकर यह कहना “पता नहीं मैडम।” अब हम दोनों का हँसना शुरू। खुलकर ना हँस पाने की वजह से हाथ बहुत हिल रहा था और मेंहदी वाला परेशान की मेंहदी कैसे लगाए हम लोगों को।उस महिला के प्रश्न तब तक चालू रहे जब तक उसके हाथों में मेंहदी लगती रही। वो महिला जैसे ही मेंहदी लगवाकर गई मेंहदी वाला मुस्कराया और मेंहदी लगाना बंद कर बोला "पहले आप दोनों हँस लीजिए।” यह किस्सा भुलाए नहीं भूलता। 
     दूसरा किस्सा साझा तो नहीं करना चाह रही थी लेकिन रचना भाभी की फरमाइश पर वह भी लिख दे रही।
   इस घटना को हम दोनों जानकी की एक परिचित छाया को बता रहे थे । तभी उसने बताया ये तो कुछ भी नहीं है घटना तो उसके साथ घटित हुई थी। उसने बताया  एक बार  वो(छाया)मेंहदी लगवाने पत्रकार गई तो उसके बगल में बैठी अनजान महिला दोनों हाथों पर मेंहदी लगवाने के बाद उससे रूबरू हुई और बोली "एक मदद करेंगी?” वो बोली, हाँ बोलिए। इतना बोलने के बाद छाया का हँसना शुरू हो गया और वो बता ही नहीं पा रही थी कि आखिर हुआ क्या। हम दोनों परेशान कि आखिर जो हम दोनों झेलकर आ रहे उससे बड़ा क्या हो सकता है? हम दोनों खिसियाकर पूछे बताओगी या हम लोग जाएँ अपने-अपने काम पर। तब जाकर छाया का हँसना मुसकराहट में तब्दील हुआ और उसने बोला कि उस महिला ने कहा कि वह (छाया) मेंहदी वाले को पैसे दे देगी? अब हम दोनों ने कहा "उसकी मेंहदी के पैसे तुमने दिए ? जान ना पहचान तुम पैसा देकर आ गई।” तब छाया बोली भाभी पहले तो मुझे भी यही लगा था और वह अवाक् होकर उस महिला का चेहरा देख रही थी। तभी उस महिला ने कहा पैसे उसने अपने ऊपरी अंतः वस्त्र में रखे हैं वो वहाँ से पैसे निकाल कर मेंहदी वाले को दे दे।अब हँस-हँस कर लोटने की बारी मेरी और जानकी की थी ।हम दोनों ने पूछा तो तुमने क्या किया तो उसने कहा,"क्या करते निकाल कर दिए पैसे” उसके बाद बोली इतना ही नहीं है अभी और भी कुछ है।तो मैने कहा अब इससे ज्यादा और क्या हो सकता है तो उसने कहा "मेंहदी वाले को पैसा देने के बाद मेंहदी वाले ने जो पैसे वापिस किये उसको मैंने जहाँ से पैसा निकाला था वहीं रखा भी" अब तो हम - दोंनो  की हँसते-हँसते हालत खराब।मैं हँस रही थी और वो बार-बार यही बोल रही थी "भाभी ज्यादा मत हँसिए तबियत खराब हो जाएगी।” लेकिन हँसी तो बंद ही नहीं हो रही थी और अगले दिन मैं बिस्तर पर ।ज्यादा हँसने की वजह से मुझे साँस का अटैक पड़ गया था।
    आज भी जब भी मेंहदी लगवाती हूँ तो ये दोनों घटनाएँ याद आती हैं। हर बार तो हम दो होते थे हँसने के लिए😌।ऐसा नहीं है कि इस बार हम दोनों साथ नहीं हँसे।इस बार भी हँसे दिल खोलकर हँसे, फोन पर बात करने के दौरान,बस आमने-सामने नहीं थे।
    आज बिना जानकी,नीमा,संचिता के मेंहदी लगवाई है लेकिन वो आनंद नहीं।
   





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