लिंग भेद

 लखनऊ में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक लड़की एक टैक्सी ड्राइवर को पीटती है बाद में ज्ञात होता है कि टैक्सी ड्राइवर की कोई गलती नहीं थी।

इसी पर मन में विचार आया कि आज आप सब से पूछूँ कि क्या लड़की ने उचित किया ? निःसंदेह आप सब कहेंगे क्या पागलपन वाला प्रश्न पूछ रहे हैं । यह सब आप इसलिए कह रहे क्योंकि वहाँ सीसीटीवी लगा था।ना लगा होता तब, ऑटो वाले ने पलटकर एक झापड़ लड़की को लगा दिया होता तब, क्या आप सब ऑटो वाले के साथ होते ?

जरा सोचिए हमारा समाज किस ओर जा रहा है, क्या हमारे समाज में लिंग भेद खत्म हो गया है ? बहुतायत का जवाब होगा, हाँ। अब कहाँ बेटा-बेटी में भेद होता है ।जिनकी बेटियाँ हैं वो कहेंगे मेरी बेटियाँ ही मेरे बेटे हैं या मेरी बेटियाँ बेटों से कम नहीं हैं ।

अगर यही जवाब है तो सच मानिए भेद-भाव अभी भी हो रहा है।सोच रहे होंगे कैसे ? आज हम सब बेटियों को बढ़ावा देने के चक्कर में बेटों को नज़रअंदाज कर रहे हैं । हम लोग खान-पान,पहनावा,सुख-सुविधा,पढ़ाई सब तो एक जैसा रख रहे लेकिन सुरक्षा व संस्कार देने में चूक रहे हैं । हम सब मानकर बैठे हैं कि लड़के ही लड़कियों के साथ गलत व्यवहार करते हैं इसलिए अब हम लड़कों पर ज्यादा सख्ती करने लगे हैं ।(यह मैं अपने आस-पड़ोस के माहौल के देखते हुए लिख रही हूँ) घर तो घर स्कूल वाले भी ऐसा कर रहे हैं। इसी से जुड़ी एक घटना बताती हूँ,मेरा बेटा 3 क्लास में था उसकी क्लास टीचर ने क्लास में कहा कि “अगर किसी लड़के ने किसी लड़की को मारा तो उसे प्रींसिपल के पास ले जाएँगे”। बेटे ने घर आकर मुझे यह बात बताई और पूछा, “अगर किसी लड़की ने लड़के को मारा तब”? मैने यह बात स्कूल के एक कार्यक्रम में उठाई थी जिसमे प्रींसिपल भी मौजूद थीं लेकिन उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। मतलब हम सब पहले से मानकर बैठे हैं कि गलती लड़कों से ही होती है।अब समय बदल गया है अब दोनों गलत हो सकते हैं बल्कि लड़कियाँ ज्यादा गलत कर रही हैं।(यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है )आजकल लड़कियाँ कब क्या कर बैठेंगी और अपने अधिकारों का क्या गलत दुरुपयोग करेंगी ,कोई सोच नहीं सकता। बेटा-बेटी दोनों को सुरक्षा का माहौल मिलना चाहिए ना कि उद्दण्डता करने का।आजकल यही हो रहा है हम संस्कार देने में चूक रहे हैं।

अब आते हैं उन लोगों पर जो कहते हैं कि, 'मेरी बेटी,बेटों से कम नहीं।'यह वाक्य ही साबित करता है कि आप भेद-भाव कर रहे।बेटी को क्यों बेटा बनाना।

फिर कहूँगी हम संस्कार देने में चूक रहे जो सही नहीं है ।अभी भी देर नहीं हुई है चेत जाएँ।


Comments

  1. Agreed with your opinion... Being a writer you analysed the cause of this problem and that is "equality"... gender discrimination is bad jst like if any female used her right in this way is also too bad...well done 👍

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  2. बिल्कुल सही बात समाज में बेटा हो या बेटी संस्कार सबको यह समान देना चाहिए उदंडता किसी की भी नहीं बर्दाश्त करनी चाहिए चाहे वह बेटा हो या बेटी

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