मैं भी ब्लॉगर बन गई

आज 30/4/19 को मैं भी ब्लॉगर बन गई।सबसे पहले ब्लॉग के बारे में मुझे फेसबुक पर वन्दना भाभी की लड़की अनु से मालूम हुआ था, उसने अपना ब्लॉग बनाया था और उसे share किया था,तब मैं 'ब्लॉग शब्द से परिचित हुई थी।
  16 अक्टूबर 2017 को रचना भाभी की ई पुस्तक'टूटी-फूटी'प्रकाशित हुई ।ई पुस्तक कभी पढ़ी नहीं थी और फिर सिद्धार्थ भइया ने request भी किया था कि किताब पढ़कर उनकी पत्नी को जन्मदिन का तोहफा दिया जाए बस अब तो किताब पढ़ने की धुन चढ़ गई।उसी में एक लेख था 'ब्लॉगर्स ने जिन्दगी बदल दी' बस उसी दिन से मेरे ऊपर ब्लॉग का भूत छा गया कि आखिर ये 'ब्लॉग क्या बला है?
   ‘ब्लॉग’ किस बला का  नाम है इसका ज्ञान मुझे गूगल बाबा से प्राप्त हुआ।मेरे कुछ मित्रों को मेरी ही तरह नहीं मालूम की 'ब्लॉग' क्या है? तो मित्रों, ब्लॉग एक ऐसी ऑनलाइन जगह है जहाँ आप अपने विचारों को लेखों और चित्रों के माध्यम से इन्टरनेट पर प्रकाशित कर सकते हैं।ब्लॉग पर आप किसी भी प्रकार के लेख  लिख सकते हैं  जो आपके जीवन से जुड़ा हो भी सकता है और नहीं भी (गूगल बाबा से प्राप्त ज्ञान)। छोटे शब्दों में 'ब्लॉग का अर्थ हुआ 'इंटरनेट पर लिखा गया लेख'।
        'टूटी-फूटी' पढ़ते- पढ़ते अब मुझमें लिखने की इच्छा जाग गई थी,समस्या यह थी कि मुझे मालूम न था कि ब्लॉगर बनते कैसे हैं? इस दौरान समाज और परिवार में बहुत कुछ घटित हुआ जिनके बारे में लिखने की बहुत इच्छा हुई लेकिन समस्या यही थी कि कहाँ लिखूँ ? मुझमें लिखने का गुण नहीं है यह मैं जानती हूँ,मैं चाहती थी कि मेरे मन में जैसे विचार आते हैं उनको मैं वैसे ही लिखूँ बहुत ज्यादा साहित्यिक भाषा का प्रयोग न करूँ वैसे भी साहित्यिक भाषा में मेरा हाथ तंग ही है।तो अब तो बस एक ही उपाय था कि मैं भी ब्लॉगर बन जाऊँ।लेकिन समस्या यह थी कि मुझे इस बारे में जरा भी ज्ञान न था।बहुतों से पूछा पर कोई न बता पाया अंततः फिर मैं गूगल बाबा की शरण में आ गई और कई प्रयत्नों के बाद मैं भी ब्लॉगर बनने में सफल हो गई।कुछ लोग कह सकते हैं कि पहले ही गूगल में देख लेती तो सच बताऊँ मुझे गूगल से ज्यादा लोगों से पूछकर ज्ञान प्राप्त करने में ज़्यादा आनंद आता है (गपोड़ी जो हूँ)।  अब तो जो भी मन के उद्गार होंगे यहीं निकालूँगी।
   मैंने ब्लॉगर बनने में बहुत मेहनत की है शारीरिक नहीं मानसिक।बस अंत में एक बात समझ में आ गई कि "कोशिश करने वालों की हार नहीं होती"।

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