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Showing posts from October, 2023

अनकहा प्रेम

 हमारा प्रेम कितना विचित्र  अनकहा , अनछुआ अनदेखा कहना तुम्हारे उस प्रेम का  अपमान करना होगा और मुझमें वह शक्ति नहीं कि तुम्हारे अनकहे प्रेम को मैं समझी नहीं , यह कहूँ अपने मुख मंडल से वह अथाह प्रेम छिपाने में तुम्हारे चक्षु सदा नाकाम रहे और, तुम्हारे भाव को समझकर  नासमझ बन तुम्हें अपने भाव से अनभिज्ञ रखा तुम्हें तो मेरा नाम ज्ञात है और मैं आज भी नाम जानने की इच्छुक हूँ  हमारा अनकहा व अनछुआ प्रेम आज भी जीवित है है ना ?

मइया आईं मेरे द्वार पे

भक्तों के नौ दिन बहार के मइया आईं मेरे द्वार पे कर लो स्वागत की तैयारी पीला शेर है माँ की सवारी नौ रूपों के वाहन बताने मइया आईं मेरे द्वार पे भक्तों के नौ दिन बहार के  मइया आईं मेरे द्वार पे महिमा है मइया की न्यारी हस्त शोभे त्रिशूल है भारी हर मइया का शस्त्र बताने मइया आईं मेरे द्वार पे भक्तों के नौ दिन बहार के मइया आईं मेरे द्वार पे मइया लागे हैं कितनी प्यारी लीला है उनकी मनोहारी नौ रूपों की गरिमा बताने मइया आईं मेरे द्वार पे भक्तों के नौ दिन बहार के मइया आईं मेरे द्वार पे ॥

पंद्रह दिन

आ रहे हैं हमारे दिन पंद्रह दिन हैं हमारे, जब हमें नियम से पानी  तिथि पर भोजन और मिलेगी मिठाई भी किंतु अब मन भर गया नहीं पीना तुम्हारे हाथ का पानी और ना खाना भोजन जीवित रहते ना रखा ध्यान अंत समय अथाह कष्ट में स्वयं पिया और पिलाया जल फिर यह दिखावा क्यों  समाज का डर या पितृ दोष का डर बंद करो यह सब  मन खिन्न होता   तुम्हारे नक़ली दिखावे से आत्मा बेचैन हो उठती है रखना था ध्यान और देना था प्रेम तो जीवित रहते देते ना डरो हमारे प्रकोप से माँ - बाप हैं , शत्रु नहीं कुछ ना करने पर भी आशीष ही देंगे  मेरी तृप्ति की इच्छा चाहो तो बेसहारा वृद्धों की सेवा कर मुझे अब शांति प्रदान करो ॥