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Showing posts from January, 2022

पवित्र बंधन

            इधर नीलिमा कुछ दिनों से परेशान थी ये उसकी शक्ल और हाव-भाव देखकर कोई भी बता सकता था । स्वयं से ही बार-बार प्रश्न करती थी कि क्या कोई महिला पचास वर्ष की उम्र में विवाह नहीं कर सकती ? फिर खुद ही उत्तर भी देती कि जब पुरुष पचास वर्ष की उम्र में विवाह कर सकता है तो महिला क्यों नहीं ?अपने मनमुताबिक जवाब की आशा में उसने अपने पति सुधीर से पूछ ही लिया कि, “ अगर कोई पचास वर्षीय महिला विवाह करना चाहे तो ?” सुधीर ने अख़बार पढ़ते-पढ़ते बेफ़िक्री से जवाब दिया, “ किस महिला को विवाह करना है मैं तैयार हूँ ।” कभी तो ढ़ंग से जवाब दे दिया करिए , खिन्न स्वर में यह बोलते हुए नीलिमा सुधीर के पास से चली गई ।सुधीर समझ गया कि किसी ख़ास को लेकर नीलिमा परेशान है । सुधीर ने अख़बार को एक ओर सरकाया (जबकि सुबह-सुबह चाय के साथ अख़बार को दीमक की तरह चाटने के बाद ही उठता था सुधीर ) और नीलिमा के पास जाकर पूछा किसको लेकर परेशान हो और किसको इस उम्र में विवाह करना है ?  नीलिमा ने एकदम शांत भाव से जवाब दिया ,“ मालूम नहीं उसे करना है या नहीं लेकिन मैं चाहती हूँ कि उसका विवाह हो जाए...

मिठाई

      भारतीय समाज में कोई शुभ काम हो,ख़ुशी का माहौल हो,त्यौहार हो बिना मीठे के अधूरा होता है।मीठे से अर्थ यहाँ मिठाई से है ना कि चॉकलेट से।मिठाई का स्थान चॉकलेट कभी  नहीं ले सकती। सामान्यत: मिठाइयाँ सभी को पसंद ही होती हैं, किसी को कम किसी को ज़्यादा।सब खाने के उपरांत ही मीठा खाते हैं लेकिन जानकी तो खाने के बीच में खाती है।ऐसा नहीं कि उसे मीठा पसंद नहीं बस वो जिह्नवा पर नमकीन स्वाद अंतिम में रखना चाहती है।खाने के काफ़ी शौक़ीन हैं जानकी और आनंद सिंह बिष्ट।वो दोनों ही नहीं हम- दोनों भी खाने के शौक़ीन हैं लेकिन मेरे पतिदेव को मिर्च -मसाला पसंद नहीं और मैं?अपनी पसंद के बारे में क्या लिखूँ? बस यही कहूँगी “जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए” ।😌         मुझे मिठाई में गुलाब जामुन,काला जाम,मोतीचूर का लड्डू, और बच्चे वाली मिठाई बहुत पसंद है। गुलाब जामुन और काला जाम अब मेरी क़िस्मत में नहीं।बच्चे वाली मिठाई का नाम मुझे कभी याद नहीं रहता।पहली बार पापा ने जगराम की दुकान में खिलाया था। छोटी थी और पहली बार खोए की मिठाई के अंदर छेने का छोटा रसगुल्ला देखा था तो ब...

ठौर

हवाओं से मेरा ठौर पूछ आज तुम आ जाते  मैं असमर्थ हूँ , तुम नहीं तो क्यों ना चुपके से आकर मुझे अचंभित कर देते नियत समय व नियत स्थान पर मुझे ना पाकर  तुम भी व्याकुल होगे जब हम दोनों व्याकुल  तो फिर अपनी आवाज़ से  बारम्बार व्यथित करना छोड़ दो ना लो मेरे प्रीति की परीक्षा आज मैं असमर्थ हूँ  तो हवाओं से मेरा ठौर पूछ  आज तुम आ जाते ।

रुनझुन

 मेरी पायल की रुनझुन सुन तुम्हारा विकल होना मन मोह लेता है । और विकल हो मेरी ओर नन्हे कदमों से दौड़कर आना मन मोह लेता है । मात्र तुम सब ही  विकल होते हो यह कहना अनुचित होगा   तुम्हारे दीदार को तो  मैं भी विकल होती हूँ अनमनी होने पर भी दौड़ी चली आती हूँ  ज्ञात नहीं कब तक है संग हमारा अलबत्ता हम दोनों का विकल होना मन मोह लेता है।  जिस पल हम दोनों संग हो उस पल को बारम्बार  जी लेने का मोह होता है मेरी पायल की रुनझुन सुन तुम्हारा विकल होना मन मोह लेता है।

विद्रोह

     प्रिया को  नव वर्ष की बधाई देने के लिए फ़ोन उठाने ही जा रही थी उसका फ़ोन आ गया । हम दोनों ने एक - दूसरे को बधाई दी । उसकी आवाज़ में सुस्ती की झलक थी । मैंने पूछा , “ क्या हुआ इतनी सुस्त आवाज़ क्यों है ? ”कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ ठीक नहीं लग रहा” सुस्त आवाज़ में ही प्रिया ने जवाब दिया ।कुछ इधर - उधर की बात करने के बाद प्रिया बोली “ चलो यार बाद में बात करेंगे अभी तबियत ठीक नहीं लग रही”। ये प्रिया की आदत थी जब कोई बात टालनी होती तो वो अपनी बिमारी का सहारा ले लेती थी।       मेरी और प्रिया की दोस्ती को बीस साल हो गए थे इसलिए हम दोनों एक - दूसरे को बखूबी जानते थे ।बात करने के तरीक़े से मैं जान गई थी कि वो शारीरिक रूप से नहीं बल्कि मानसिक रूप से परेशान है । उससे बात करने के उपरांत मैं भी परेशान हो गई कि ऐसी क्या बात है जिसने उसे इतना परेशान कर रखा ।समझ नहीं पा रही थी कि उसकी परेशानी कैसे जानूँ और कैसे उसके चेहरे पर हँसी लाऊँ ? जो मेरी हर परेशानी की चाभी है आज वो दुखी थी ।”जब कोई अपनी परेशानी आपसे साझा ना करना चाहे तो उस वक्त उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ द...