इंतजार
आज मन फिर उदास है
आँखें थक गईं उनका रास्ता देखते।
कब आएँगे ? इस इंतजार में छोड़ दिया सोना
उनमें क्या खास है ! जो आज मन फिर उदास है
प्रातः उम्मीद जागी थी शायद मध्यान्ह में आएंगे
किन्तु फिर निराशा हाथ आई।
नए शहर में वे ही मेरे साथी थे
उनका मध्यान्ह में एक-एक कर आना
मिलकर दाना चुगना
दाने चुगते-चुगते एक-साथ उड़ जाना
गिल्लू का उनसे पहले आना
कहाँ गए सब
आज भी ना आए
लगता है रूठे हैं मुझसे
मैं भी मना लूँगी
आज ना आए तो क्या ?
कल आएँगे
कल फिर उनकी राह देखूँगी
जब वे आएँगे तो मैं खिल उठूँगी
आज उदास हूँ तो क्या
कल ना उदास रहूँगी।
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeletePlease mention your name
DeleteVery nice effort 👍
ReplyDeletePlease mention.your name
DeleteWah kya likha hai apne
ReplyDeleteThank u
Deleteहर शब्द दिल से निकले हैं 👌
ReplyDeleteThank u
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