इंतजार

 आज मन फिर उदास है

आँखें थक गईं उनका रास्ता देखते।

कब आएँगे ? इस इंतजार में छोड़ दिया सोना

उनमें क्या खास है ! जो आज मन फिर उदास है

प्रातः उम्मीद जागी थी शायद मध्यान्ह में आएंगे

किन्तु फिर निराशा हाथ आई।

नए शहर में वे ही मेरे साथी थे

उनका मध्यान्ह में एक-एक कर आना

मिलकर दाना चुगना

दाने चुगते-चुगते एक-साथ उड़ जाना

गिल्लू का उनसे पहले आना

कहाँ गए सब 

आज भी ना आए

लगता है रूठे हैं मुझसे

मैं भी मना लूँगी

आज ना आए तो क्या ? 

कल आएँगे 

कल फिर उनकी राह देखूँगी

जब वे आएँगे तो मैं खिल उठूँगी

आज उदास हूँ तो क्या

कल ना उदास रहूँगी।




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