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Showing posts from February, 2024

वंदन

 हाथ जोड़ करती हूँ वंदन स्वीकार करो माँ मेरा नमन विराजित तुम हंस पर होती वीणा कर में धारण करती सुशोभित श्वेत वस्त्र में होती ज्ञान की देवी कहते तुमको दे विद्या का वर हम सबको कृतार्थ करो माँ तुम हमको स्वीकार करो माँ  मेरा नमन ॥

बदलता समय और अकेलापन

       समय हर पल बदल रहा है और समय के साथ हम भी। बदलाव प्रकृति का नियम है , उस बदलाव को स्वीकार करते हमें आगे बढ़ना होता है । लेकिन कुछ बदलाव समाज में ऐसा आया कि ना चाहते भी मनुष्य अकेलेपन का शिकार हो रहा ।          फ़ेसबुक, व्हाट्सअप ,इंस्टाग्राम पर सक्रिय हैं सब । लेकिन मेल - मिलाप ना के बराबर । जब मेल - मिलाप ही नहीं रहेगा तो सुख दुःख किसी से कहना भी मुमकिन नहीं ।     सब इतना व्यस्त सचमुच हैं या व्यस्तता का दिखावा कर रहे। क्योंकि मेरा मानना है कि चौबीस  घंटे में दस मिनट का भी समय नहीं लोगों के पास कि अपने मित्र का समाचार ले ले या दे दें ।मित्र इसलिए लिखा क्योंकि अभी भी हम परिवार वालों का समाचार ले ही लेते हैं ।       फ़ेसबुक पर ऑनलाइन दिखेंगे व्हाट्सअप पर ऑनलाइन दिखेंगे लेकिन ना फ़ोन पर संपर्क करेंगे और ना ही मैसेज का जवाब। ज़्यादातर लोग यही कर रहे ।इसका अर्थ कि वो आपसे संबंध रखना ही नहीं चाहते जब आप संबंध रखना ही नहीं चाहते तो फिर अकेलेपन की शिकायत क्यों ?          लेकिन मेरे पास इसके...

जय माँ गंगे

 प्रयागराज की गलियों में जब घूमना तब जय माँ गंगे जय माँ गंगे बोलना संगम तीरे माघ का लगता है मेला  तब कल्पवासियों का भी होता है रेला   भर दिन कीर्तन प्रवचन का आनंद लेना और जय माँ गंगे जय माँ गंगे बोलना प्रयागराज की गलियों में जब घूमना तब जय माँ गंगे जय माँ गंगे बोलना लेटे हनुमत को पहना तुलसी माला  भांग धतूरा से खुश होंगे भोला फिर माँ अलोपिन के भी दर्शन कर लेना और जय माँ गंगे जय माँ गंगे बोलना प्रयागराज की गलियों में जब घूमना तब जय माँ गंगे जय माँ गंगे बोलना