अनमोल पूँजी
वृद्धों का अपमान ना करना वे हैं धुरी समाज की बरगद सी छाया उनसे ही मिलती उस छाँव में होती शीतलता महत्ता, उसकी कम ना करना । रखते पास , कोषागार अनुभव का उपभोग कोष का तुम करना अपव्यय कर अपमान ना करना उसका मान बनाए रखना । संकट में बन आशीष का साया बनते संकट हर्ता उस साए से दूर ना रहना साए का मान बनाए रखना । पुरातन संस्कृति सभ्यता के ज्ञाता वो सहेज उस ज्ञान को पुरातन संस्कृति, का मान तुम रखना उनकी ही छत्र - छाया में नन्हें - मुन्नों को प्यार है मिलता उस प्यार का मान तुम रखना छाया का सम्मान तुम करना। कुछ पल बैठ क़रीब एकाकी ना रहने देना कुटुंब की नींव कहाते नींव को निर्बल ना करना थाम हमारे हाथों को पथ पर चलना हमें सिखाया उन झुर्री वाले हाथों का परित्याग ना करना हाथों को उनके थामे रखना देख मलिन मुख उनका निराश ना होना उस मुख के पीछे के संघर्ष को पढ़ना संघर्ष का मान बनाए रखना । वृद्धों का अपमान ना करना —————x—————