कजरी

 कि हरे रामा पिया बसे बिदेसवा

नौकरिया बनी सौतनिया ना

झिर-झिर बरसे सारी रतिया

बदरिया घिर आई काली ना

कि हरे——-

दिनवा बीतै करत सारे कजवा

कि रतिया कइसे बीतै ना

कइसे जाइब हम मंदिरवा

फिकिरिया भारी भइले ना

कि हरे——-

सासू - ननदी मारे तनवा

कि देवरा बोले बोलिया ना

कइसे ढारब भोले के जलवा

कि पिया बसे बिदेसवा ना

कि हरे——-









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