कजरी

 पिया चुनरी ले आई दा जयपूर से 

जाइके राजदूत  से ना

पिया चुनरी ले आवा

ना ननदी के देखावा

उहमें गोटवा लगवाइ दा चटकदार,घुघरदार

देवरा से ना

पिया——


माना बतिया हमार

 लाया धानी लहरदार

उहै चुनरी ओढ़

झूली झूला हम

सावन के बयार में ना

पिया——- ।।




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