दहशत
अभी तो वापिस लौटी थी ज़िंदगी कि फिर दहशत के दिन आ गए । नहीं जीना दहशत के साए में नहीं खोना किसी अपने या पराए को नहीं सुनना एम्बुलेंस की साँय - साँय नहीं जीना दहशत के साए में अभी तो वापिस लौटी थी ज़िंदगी । कितने अनाथ हुए कितनों की गोद सुनी हुई रोग ग्रस्त की मदद ना कर पाने का बोझ उतरा ना था कि फिर दहशत के दिन आ गए नहीं जीना दहशत के साए में । फ़ोन की घंटी से अनहोनी की आशंका किसी का व्हाट्सअप पर सक्रिय ना होना किसी का फ़ेसबुक से अदृश्य होना सब दहशत में लाएगा नहीं जीना दहशत के साए में । सुख के बाद दुख दुख के बाद सुख का भान है किन्तु हर - पल दहशत से अवगत नहीं होना अभी तो लौटी थी ज़िंदगी कि फिर दहशत के दिन आ गए नहीं जीना दहशत के साए में ।