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Showing posts from May, 2019

अपना घर

   सुबह की पूजा-पाठ से मैं थक गई थी इसलिए सोचा क्यों न बालकनी में आरामकुर्सी पर बैठकर आराम कर लूँ।आज बहुत सालों बाद मैं बहुत खुश थी,खुश हूँ भी क्यूँ न आखिर आज मेरी बेटी आद्या के घर में गृहप्रवेश का आयोजन है।मेरी बेटी का 'घर' जहाँ से उसे कोई नहीं निकाल सकता।       दो अक्षर का शब्द 'घर' छोटा सा शब्द है पर जीवन में इसका बहुत बड़ा अर्थ है, इसको मुझसे अच्छा कौन समझ सकता है?     इस 'घर' ने ही मेरी जिन्दगी बदल कर रख दी 20 फरवरी 1975 मेरे पति एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे उन्हें स्पाइन में चोट आई थी जिसके कारण वे उठने-बैठने में असमर्थ हो गए, लेकिन इस दुख की घड़ी में मुझे मेरे दोनों घरवालों का सहारा मिला।वे हमेशा कहते थे,"घबराना मत,जया हम सब तुम्हारे साथ हैं तुम्हें आधी रात को भी किसी चीज की जरूरत हो तो निःसंकोच बताना आखिर हम सब ही तो तुम्हारे हैं"।      पति की प्राइवेट नौकरी थी, कंपनी से थोड़े बहुत पैसे मिले जो इलाज के वक्त ही खत्म हो गए थे।अब आय का कोई स्रोत न था तब मैंने एक दिन सास से कहा मम्मी मैं स्कूल में पढ़ाने का काम कर लूँ...

मैं भी ब्लॉगर बन गई

आज 30/4/19 को मैं भी ब्लॉगर बन गई।सबसे पहले ब्लॉग के बारे में मुझे फेसबुक पर वन्दना भाभी की लड़की अनु से मालूम हुआ था, उसने अपना ब्लॉग बनाया था और उसे share किया था,तब मैं 'ब्लॉग शब्द से परिचित हुई थी।   16 अक्टूबर 2017 को रचना भाभी की ई पुस्तक'टूटी-फूटी'प्रकाशित हुई ।ई पुस्तक कभी पढ़ी नहीं थी और फिर सिद्धार्थ भइया ने request भी किया था कि किताब पढ़कर उनकी पत्नी को जन्मदिन का तोहफा दिया जाए बस अब तो किताब पढ़ने की धुन चढ़ गई।उसी में एक लेख था 'ब्लॉगर्स ने जिन्दगी बदल दी' बस उसी दिन से मेरे ऊपर ब्लॉग का भूत छा गया कि आखिर ये 'ब्लॉग क्या बला है?    ‘ब्लॉग’ किस बला का  नाम है इसका ज्ञान मुझे गूगल बाबा से प्राप्त हुआ।मेरे कुछ मित्रों को मेरी ही तरह नहीं मालूम की 'ब्लॉग' क्या है? तो मित्रों, ब्लॉग एक ऐसी ऑनलाइन जगह है जहाँ आप अपने विचारों को लेखों और चित्रों के माध्यम से इन्टरनेट पर प्रकाशित कर सकते हैं।ब्लॉग पर आप किसी भी प्रकार के लेख  लिख सकते हैं  जो आपके जीवन से जुड़ा हो भी सकता है और नहीं भी (गूगल बाबा से प्राप्त ज्ञान)। छोटे शब्दों में 'ब्लॉग का ...