उठो माॅं श्रृंगार करो
उठो मात श्रृंगार करो अब तुम्हें धरा पर आना है माथे पे लगा लो तुम बिंदिया सिंदूर से भर लो तुम मंगिया नैनों में ममता का भाव लिए अब तुम्हें धरा पर आना है तुम उठो माॅं श्रृंगार करो अब तुम्हें धरा पर आना है हस्त में अपने कमल लिए और हाथ में अपने शंख लिए आंचल में भर आशीष लिए अब तुम्हें धरा पर आना है तुम उठो माॅं श्रृंगार करो अब तुम्हें धरा पर आना है कर में अपने त्रिशूल लिए और सिंह की सवारी किए दुष्टों का वध करने के लिए अब तुम्हें धरा पर आना है तुम उठो माॅं श्रृंगार करो अब तुम्हें धरा पर आना है ।।