कर्मकांड
जन्म हुआ है तो मृत्यु निश्चित है । यह कहना गलत ना होगा कि गर्भ में ही मृत्यु का दिन निश्चित हो जाता है । मृत्यु पर लिखना अच्छा तो नहीं लग रहा लेकिन क्या करुॅं , दिलो-दिमाग में बहुत दिनों से उथल-पुथल चल रही । किसी अपने के जाने के उपरांत सब यह बोल कर सांत्वना देते हैं कि ," सब ऊपर वाले के हाथ में है ।" सच भी है कि सब ऊपर वाले के हाथ में है और हम केवल अपना कर्म कर सकते हैं । किसी की असमय मृत्यु निश्चित ही अत्यंत कष्टकारी होती है ।उनका जाना भी कष्टकारी होता है जो आयु पूर्ण कर जाते हैं और वो अगर माता-पिता हों तब कष्ट थोड़ा ज्यादा होता है । किंतु पापा के जाने के बाद यह लगा कि मृत्यु के बाद के कर्मकांड उससे ज्यादा कष्टकारी होते हैं । क्योंकि इससे पहले मैंने ये सब देखा नहीं था । (जो मैंने देखा और सुना है उसी के आधार पर लिख रही। वैसे मैं बहुत ज्यादा जानती नहीं । ) लोग कहते हैं कि तेरहवीं वगैरह करने का प्रावधान इसलिए किया गया कि लोग व्यस्तता में अपना दुःख भूल जाएं और मृतक की आत्मा को शांति मिले । सोचिए इसी में किसी की असमय मृत्यु हो त...