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जब - जब माॅं को याद किया

 जब - जब माॅं को याद किया माॅं दौड़ी - दौड़ी आती हैं  दुःख आए या सुख आए  माॅं दौड़ी - दौड़ी आती हैं  हाथों में अपने त्रिशूल लिए माॅं, सिंह की सवारी किए  ऑंखों में अपने तेज लिए माॅं, ममतामई मुस्कान लिए  भक्तों पर अपनी कृपा करने , वो दौड़ी - दौड़ी आती हैं  जब - जब माॅं को याद किया माॅं दौड़ी - दौड़ी आती हैं  दुःख आए या सुख आए  माॅं दौड़ी - दौड़ी आती हैं  हाथों में अपने शंख लिए माॅं , गुड़हल माला पहने हुए  चक्षु में अपने शांति लिए माॅं, करुणा का भाव मन में लिए  भक्तों को आशीष देने, वो दौड़ी - दौड़ी आती हैं  जब - जब माॅं को याद किया  माॅं दौड़ी - दौड़ी आती हैं  दुःख आए या सुख आए  माॅं दौड़ी - दौड़ी आती हैं।।