बच्चों पर बढ़ता अनावश्यक दबाव
मई माह खत्म होने को है और ज्यादातर बोर्ड अपने परिणाम घोषित कर चुके हैं। कुछ बच्चों का रिजल्ट आशा के अनुरूप होगा , कुछ का कम और कुछ का ज्यादा अच्छा होगा। अब बच्चे आगे की पढ़ाई में जुट गए हैं, "अब जुट गए" कहना पूर्णतया गलत होगा। बच्चों पर पढ़ाई का ऐसा दबाव है कि दसवीं के रिजल्ट से पहले ही प्री-बोर्ड के नम्बर के आधार पर और बच्चे की पसंद के आधार पर बच्चा वाणिज्य,कला या विज्ञान विषय लेगा यह स्कूल वाले निर्धारित कर कक्षाएं शुरू कर देते हैं । क्या हमारे समय में डाॅ, इंजीनियर,या आईएएस -पीसीएस नहीं बनते थे ? बच्चों पर पढ़ाई का इतना दबाव क्यों है और यह दबाव ना केवल स्कूल वाले वरन् हम माॅं-बाप भी देते हैं। कुछ माॅं-बाप इसके अपवाद हो सकते हैं।और कुछ दूसरों के समक्ष यह कहेंगे कि " नहीं, हमें नम्बर से कुछ मतलब नहीं," लेकिन फिर भी वे बच्चों पर नम्बर का दबाव बनाते हैं । मानती हूॅं हर क्षेत्र में प्रतियोगिता बहुत बढ़ गयी है लेकिन यह बात हम अभिभावक से ज्यादा बच्चा समझता है।फिर उस पर क्यों अनावश्यक दबाव बनाया जाए ? कुछ...