अविस्मरणीय प्रसंग
हम सब के दिलो - दिमाग़ में कुछ घटनाएँ या बातें ऐसी हावी होती हैं कि कितना भी भूलना चाहें नहीं भूल पाते । वो घटनाएँ सुखद या दुखद कैसी भी हो सकती हैं । कुछ दिनों पहले तक मैं यह सोचती थी कि मेरे ऊपर बचपन की बातें ज़्यादा हावी हैं लेकिन अभी हाल ही मेरा यह भ्रम टूट गया। मैं अपने को सौभाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे ऐसे लोगों का सानिध्य प्राप्त हुआ कि उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता रहता है ।इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनसे मैं फ़ेसबुक के माध्यम से मिली । तो ऐसे ही फ़ेसबुक के माध्यम से दो - तीन महीने पहले मधु दीदी से परिचय हुआ । मालूम चला वो इलाहाबाद में ही पढ़ी है और अभी राँची में रह रहीं साथ ही ऑल इंडिया रेडियो में उद्घोषिका हैं ।पहले तो वो मुझसे “आप” कहकर बात करतीं थीं फिर बातचीत के दौरान उन्हें ज्ञात हुआ कि मैं उनसे छोटी हूँ ,जैसे ही उन्हें यह मालूम हुआ तुरंत उनके मुँह से निकला,”अरे ! तुम तो हमसे बहुत छोटी हो ।” उस दिन से हम दोनों में बहन का रिश्ता क़ायम हो गया। अब नित्य बात करना हमारी जीवनचर्या में शामिल हो गया था ।मज़ेदार बात यह थी कि...