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Showing posts from February, 2022

हवाई यात्रा

     मैं और मेरे द्वारा किए गए महान कार्य।सामान्यत: मुझसे महान कर्म हो ही जाते हैं, मैं महान जो हूँ।कभी दीवान के अंदर गिर कर आधा बंद हो जाती हूँ, कभी दुकान में शीशे वाले दरवाज़े से इतना तेज टकरा जाती हूँ कि दुकान के निचले तल के कर्मचारी हड़बड़ाते हुए ऊपर आकर पूछ लेते हैं कि “ क्या हुआ,ज़्यादा लगी तो नही ?”और कभी उल्टा हेलमेट लगाकर आद्या को डांस एकेडमी तक छोड़ आती हूँ।          महान कार्य ज्यादातर  विवाहोपरांत ही किया है क्योंकि विवाह से पूर्व बाहर बहुत ही कम निकलती थी।बाहरी दुनिया से मैं पूर्णतया अनभिज्ञ थी, यह कहना ग़लत ना होगा।किसी अनजान से मिलना-जुलना होता ही नहीं था और ना ही मैंने कभी कोई बाहरी काम किया था तो गड़बड़ी होने की संभावना ही नहीं।         लगता है घर का छोटा बच्चा उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो वो कभी बड़ा नहीं होता।बेवक़ूफ़ी भरी हरकतें उससे होती ही रहती हैं।मेरे साथ तो ऐसा ही होता है ।इस बार तो मैंने कुछ ज़्यादा ही महान कार्य कर दिया।              हुआ यूँ कि, कुची को दिल्ली वि...

स्तब्ध

       बसंत ऋतु की ठंडी बयार,कोयल की कूक और पेड़-पौधों को मद-मस्त झूमते देखना किसे नापसंद होगा।इन्हीं सबका आनंद लेने मिली अपने बगीचे में आई थी कि अचानक उसे सिंह आंटी दिख गईं थीं।मिली की ख़ुशी ठिकाना नहीं था। हो भी क्यों ना इस मुए कोरोना में कोई दो साल बाद स्वस्थ आपके समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराए तो मन आनंद से भर उठता है।मिली बिना समय गँवाए आंटी से मिलने जाने के लिए मेनगेट खोलने ही जा रही थी कि उसके पति गौरव ने आवाज़ दी, “मिली जल्दी आओ माँ का फ़ोन आया है”। मिली भी यह सोचकर कि आंटी से मिलने पर तो बातें लम्बी हो जाएँगी बाद में आराम से बात करेगी वापिस लौट गई। गौरव के हाथ से मोबाइल लेते हुए बोली “मालूम है सिंह आंटी आ गईं”। “कब, कैसी हैं, ठीक तो हैं ना” एक साँस में गौरव मिली से पूछ बैठा। “अब मुझे क्या मालूम” मिली ने जवाब दिया और अपनी माँ से बात करने लगी।                  मिली जब ब्याह कर आई थी तब हर दोपहर कोई ना कोई महिला मिली से मिलने ज़रूर आती थी।आज के समय जैसा तब नहीं था कि प्रीतिभोज में बहू से मिल लिए बस।उन दिनों तो प्रीतिभ...